लंबे समय तक जीना है तो गुस्से को करें बाय-बाय
मन के किस भाव से किस रोग का खतरा रहता है

नई दिल्ली. एक बार हार्ट अटैक होने के बाद रोगी के लिए क्रोध घातक बन जाता है। जिन्हें एक बार हार्ट अटैक हो चुका है, क्रोध आने पर उनके हृदय की पंपिंग क्षमतात सात प्रतिशत से भी ज्यादा घट जाती है। इस गिरावट को चिकित्सक हृदय में रक्तप्रवाह के लिए एक खतरनाक स्थिति मानते हैं। शोध के अनुसार, जिन्हें हृदयाघात का प्रथम दौरा पड़ चुका है और जो आसानी से क्रोधावेश में आ जाते हैं, उनकी मृत्यु की संभावना दो से तीन गुना तक बढ़ जाती है। लिहाजा जरूरी है कि अपने मनोभावों को संतुलित संयमित रखा जाए। वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को भी इस बात की चिंता सताने लगी तो उन्होंने इसकी जांच शुरु कर दी और बताया कि अगर आप लंबे समय तक जीना चाहते हैं तो इन बातों का ध्यान रखना होगा।
जांच में मिला कम उम्र में मौत का कारण
शोध से पता चला है कि रोगों की जड़ें शरीर में नहीं मन में हैं, गिने चुने रोगों की हम बात नहीं कर रहे, करीब-करीब सभी रोगों की। इसलिए स्वस्थ रहना हो तो मन और मस्तिष्क को संतुलित में रखना चाहिए। मन के किस भाव से किस रोग का खतरा रहता है, इस पर खोज करते हुए संयुक्त राज्य की ‘नार्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी’ के चिकित्सा विज्ञानी डॉ. जॉन बेयाफुट ने हृदय रोग से पीड़ित बत्तीस व्यक्तियों की परीक्षण रिपोर्ट का विष्लेषण किया और पाया कि उनमें धमनी अवरोध की स्थिति उनके स्वभाव में क्रोध की मात्रा के अनुरूप थी।
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