सर्दियों में पेट के इंफेक्शन को करना है दूर, तो जानिए इसके कारण,लक्षण और उपचार
सर्दी का मौसम हालांकि हेल्थ के लिहाज से अन्य मौसमों की तुलना में अच्छा माना जाता है लेकिन कुछ ऐसे वायरस हैं, जो इसी मौसम में सक्रिय हो जाते हैं। इनमें से एक है नोरोवायरस। इसके इंफेक्शन से स्टमक फ्लू यानि पेट का इंफेक्शन हो जाता है। जानिए विस्तार से इस डिजीज के कारण, लक्षण, उपचार और बचाव के उपायों के बारे में।

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डॉ. जे. रावतCreated On: 3 Jan 2019 5:08 PM GMT
Stomach Infection Causes, Symptoms ,Treatment and Prevention
कई बार सर्दी का मौसम हेल्थ के लिहाज से परेशानियों का सबब बन जाता है। वातावरण में मौजूद कई वायरस तरह-तरह के इंफेक्शंस का कारण बनते हैं। जिसमें नोरोवायरस एक बेहद खतरनाक वायरस है। जिससे स्टमक फ्लू यानि पेट का इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है। इसलिए आज हम आपको इससे बचने के लिए इस बीमारी के कारण, लक्षण, उपचार के बारे में बता रहे हैं।
बढ़ता है वायरल इंफेक्शन
इन वायरसेस में नोरोवायरस भी एक है, जिसे ‘विंटर वॉमिटिंग बग’ भी कहा जाता है। वैसे तो यह वायरस पूरे साल सक्रिय रहता है लेकिन हीट सेंसेटिव होने के कारण गर्मियों में ज्यादा नहीं पनपता। कैल्सीविरीडे परिवार का यह वायरस रोबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) और प्रोटीन की कोटिंग से घिरा होता है। जिसके कारण सर्द वातावरण में मौजूद रहता है और संपर्क में आने वाले दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर लेता है।
संक्रमित व्यक्ति को पेट का इंफेक्शन गैस्ट्रोइंटिरिटिस या आंत्रशोथ या स्टमक फ्लू होने का खतरा रहता है। आंकड़ों के हिसाब से दुनिया भर में हर साल 10 लाख लोग नोरोवायरस का शिकार होते हैं, जिनमें से करीब 800 लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।

ऐसे होता है संक्रमण
नोरोवायरस का संक्रमण दो तरीके से होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। उल्टी या दस्त आने पर नोरोवायरस बीमार व्यक्ति के आस-पास फैल जाते हैं, जो मुंह या नाक से सांस के जरिए दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचते हैं। बीमार की तीमारदारी करने वाला व्यक्ति पर्सनल हाइजीन का ध्यान न रखने यानी अच्छी तरह हाथ-मुंह धोए बगैर खाने-पीने से नोरोवायरस का शिकार हो सकता है।
संक्रमित व्यक्ति द्वारा भोजन बनाने से उसका बना खाना खाने या पर्सनल चीजें इस्तेमाल करने से दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है। व्यक्ति खुद भी नोरोवायरस से संक्रमित हो सकता है जैसे-दूषित भोजन-पानी के सेवन से, संक्रमित सतह या चीजें छूने से, उल्टी या दस्त के साथ निकले नोरोवायरस से संक्रमित वातावरण में सांस लेने से।

प्रमुख लक्षण
नोरोवायरस एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंचने के 12 से 48 घंटे के इंक्यूबेशन पीरियड के बाद अपना असर दिखाना शुरू करते हैं। संक्रमित व्यक्ति में कुछ ऐसे लक्षण दिख सकते हैं :
-अचानक बुखार और थकावट महसूस करना
-लगातार उल्टियां आना
-पानी जैसे पतले दस्त आना
-बेचैनी, घबराहट होना
-पेट के आंतों में सूजन, ऐंठन, जलन, दर्द महसूस होना
-सिरदर्द, बदन दर्द होना
-डिहाइड्रेशन होना
-कमजोरी महसूस होना
कब जाएं डॉक्टर के पास
अगर रोगी आधे-एक घंटे में यूरिन ठीक से पास कर रहा है और एक्टिव है। उसे दिन भर में 2-3 बार दस्त या उल्टियां आ रही हों। पूरा ध्यान रखे जाने और एहतियात बरते जाने पर रोगी 2-3 दिन में घर में ही ठीक हो जाता है। इससे वह कमजोरी तो जरूर महसूस करेगा, लेकिन घबराने वाली बात नहीं है। लेकिन अगर उसे डिहाइड्रेशन, कमजोरी, बुखार ज्यादा हो रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।

किन लोगों को है खतरा
ब्लड प्रेशर, किडनी, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं, नवजात शिशु और बुजुर्गों के लिए नारोवायरस खतरनाक साबित होता है। ऐसे लोगों का इम्यून सिस्टम पहले ही कमजोर होता है, लगातार उल्टियां और दस्त आने से उनके शरीर में मौजूद पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम और पोटेशियम जैसे मिनरल्स) मल के साथ अत्यधिक मात्रा में निकल जाते हैं। इससे उसके शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन गड़बड़ा जाता है और डिहाइड्रेशन हो जाता है।
क्या है उपचार
समुचित देखभाल और सपोर्टिव ट्रीटमेंट से संक्रमित व्यक्ति 3-4 दिन में ठीक हो जाता है। बुखार के लिए पैरासिटामोल जैसी मेडिसिन डॉक्टर की सलाह पर दी जा सकती है। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों की स्थिति के हिसाब से इलाज किया जाता है। पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) ब्लड टेस्ट कराया जाता है। जरूरत पड़ने पर उन्हें ड्रिप भी लगाई जाती है।

डाइट का रखें ध्यान
नोरोवायरस से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पौष्टिक तत्वों की आपूर्ति करने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए उसे हाइड्रेट रखना जरूरी है। उसे ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रोलाइट्स और शर्करा युक्त पेय पदार्थ देने चाहिए। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में नियत अंतराल पर लिक्विड या सेमी लिक्विड डाइट देनी चाहिए ताकि आसानी से डाइजेस्ट कर सके और जल्दी आराम पहुंचे।
-पानी उबाल कर दें।
-कार्बोहाइड्रेट से भरपूर और सुपाच्य चावल का पानी पीना काफी फायदेमंद है।
-नमक और चीनी मिलाकर नीबू पानी पीने को दें। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर नीबू पानी दस्त में आराम पहुंचाता है और डिहाइड्रेशन के खतरे को कम करता है।
-मिनरल्स से भरपूर नारियल पानी पिलाएं। यह डिहाइड्रेशन में राहत पहुंचाता है।
-रेडिमेड ओआरएस का घोल या पानी में नमक-चीनी का घोल बना कर दे सकते हैं। यह शरीर में संतुलन बनाए रख कर पानी की कमी को पूरा करता है।
-दिन में एक दो बार संतरे औैर अनार का जूस भी दिया जा सकता है।
-कम दूध और कम चीनी की हर्बल चाय फायदेमंद है।

बरतें सावधानी
-सतर्क रहने और अपने चारों ओर के दूषित वातावरण के प्रभाव से खुद को अलग रखना जरूरी है। विशेषकर पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखकर आसानी से बचा जा सकता है।
-संक्रमित व्यक्ति या पर्यावरण के संपर्क में आने के बाद सबसे पहले एंटीसेप्टिक साबुन से हाथ अच्छी तरह धोएं। एल्कोहल-युक्त सेनिटाइजर के प्रयोग से बचें।
-पर्सनल हाइजीन और आस-पास की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
-किसी के साथ रुमाल, टॉवल, कपड़े जैसी अपनी पर्सनल चीजें शेयर मत करें। डिस्पोजेबल नैपकिन या टॉवल का ही उपयोग करें।
-संभव हो तो नोरोवायरस मरीज के कपड़े अलग धोएं और इन्हें अच्छी तरह साफ करें।
-मुंह पर मास्क का प्रयोग करें।
-भीड़-भाड़ वाले इलाकों, अस्पताल, बाजार जैसी जगहों पर जाने
से बचें।
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