Antibiotics के अंधाधुंध इस्तेमाल से बॉडी में बढ़ रहा रेजिस्टेंस, WHO ने कहा- तबाही की तरफ विश्व
जरूरत से ज्यादा दवाइयों के इस्तेमाल से शरीर को गंभीर नुकसान होता है। इस वजह से इंसान की बॉडी रोगाणु को खत्म करने में समर्थ नहीं होती है।

एंटीबायोटिक्स का जरूरत से ज्यादा सेवन न करें।
Know What Is Antibiotic Resistance: अक्सर हम लोग जरा सा बुखार आने पर झट से एंटीबायोटिक खा लेते हैं। कई लोग बुखार आने की आशंका होने पर भी दवाई खा लेते हैं, जिससे उन्हें बुखार आए ही नहीं। हालांकि, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। इस तरह आप अपनी बॉडी को एंटीबायोटिक्स खाने की आदत डाल रहे हैं। यह आगे चलकर आपके लिए बहुत खतरनाक साबित होगा। इन दवाओं का जरूरत से ज्यादा या फिर अंधाधुंध सेवन करने से बॉडी में रेजिस्टेंस पैदा हो जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, आपने देखा होगा कि कुछ साल पहले जो दवाएं बाजार में बिक रही थीं, अब बाजारों में इन चीजों का नामों निशान तक नहीं रह गया है। इसके पीछे की वजह ये है कि इन दवाओं ने असर करना बंद कर दिया है। यह हम सभी के लिए अलार्मिंग कंडीशन है।
एंटीबायोटिक्स के ज्यादा इस्तेमाल से तबाही का खतरा
हाल में कोपेनहेगन, डेनमार्क में यूरोपियन कांग्रेस ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज की मीटिंग में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर गंभीर चिंता जताई गई है। उनके मुताबिक, वह दिन भी बहुत दूर नहीं है, जब बॉडी इन दवाओं के खिलाफ रेजिस्टेंस डेवलप कर लेगी। अगर समय रहते इन दवाओं के इस्तेमाल पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले सालों में जानलेवा तबाही आना तय समझा जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले कुछ सालों के टेस्टिंग रिपोर्ट्स बताती हैं कि दवाओं के प्रतिरोधी बैक्टीरिया का अनुपात बढ़ गया है। भारत में कम से कम सात लाख लोग इस समस्या का सामना कर रहे हैं। वहीं, दुनियाभर में साल 2050 तक दस मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत होने की आशंका जताई है।
आइए जानें क्या हैं दवाओं के रेजिस्टेंस का मतलब
बता दें कि एंटीबायोटिक्स-एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का मतलब है कि जिन बैक्टीरिया को मारने के लिए दवा को बनाया गया है, वह रोगाणु उसी दवा के साथ यूज टू हो जाएं यानी उसे कोई फर्क ही ना पड़े। ऐसा होने पर अगर आप बीमार होते हैं और आपको एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, तो रोगाणु खत्म होने की जगह बढ़ जाते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी CDC के विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर एंटीमाइक्रोबियल्स के ज्यादा और गलत इस्तेमाल के कारण शरीर में प्रतिरोध पैदा हो गया है। सीडीसी के मुताबिक, क्लीनिकों और आपातकालीन विभागों में जितने एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, उनमें से 28 फीसदी की आवश्यकता भी नहीं होती है।
WHO ने दी ये वार्निंग
एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने भी चिंता जताई है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दुनिया के हर देश में एंटीबायोटिक दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वजह से कम क्षमताओं वाली एंटीबायोटिक दवाओं ने लोगों पर असर करना बंद कर दिया है। शरीर में दवाओं के प्रति ये रेसिस्टेंस बिल्कुल ठीक नहीं है, WHO ने वार्निंग में भी यही समझाया गया है। एंटीबायोटिक्स के बेशुमार इस्तेमाल करने से भविष्य में एक समय ऐसा भी आएगा, जब इंसान को दवाओं की जरूरत होगी, लेकिन वो बॉडी पर असर नहीं करेंगी। ऐसे में बिना डॉक्टर से सलाह लिए इंटरनेट पर देखकर या किसी के कहने पर आप एंटीबायोटिक्स का सेवन ना करें।

Harsha Singh
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है। कॉलेज के दौरान ही कुछ वेबसाइट्स के लिए फ्रीलांस कंटेंट राइटर के तौर पर काम किया। अब बीते करीब एक साल से हरिभूमि के साथ सफर जारी है। पढ़ना, लिखना और नई चीजे एक्स्प्लोर करना पसंद है।