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सावधान! सेल्फी लेने से पहले सोचें सौ बार, हो सकता है जानलेवा

इन दिनों सेल्फी लेना एक एडिक्शन का रूप ले रही है।

सावधान! सेल्फी लेने से पहले सोचें सौ बार, हो सकता है जानलेवा
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सेल्फी का क्रेज इन दिनों हर उम्र के लोगों में दिखाई दे रहा है। युवा और वृद्ध दोनों पर सेल्फी का जुनून बड़े ही आसानी से देखा जा सकता है। पार्टी हो शादी या फिर कोई त्योहार हो, इन मौकों पर सेल्फी न हो ऐसा हो ही नहीं सकता।

यहां तक की शॉप में स्मार्टफोन खरीदने के समय भी युवाओं की फर्स्ट प्राआरिटी होती है कि इसका फ्रंट कैमरा कितने मेगा पिक्सल का है। अगर पिक्सल कम का हुआ तो वो हाई मेगा पिक्सल कैमरे का फोन खरीदते हैं।

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सोशल मीडिया पर सेल्फी पिक्स अपलोड करने का क्रेज सिर चढ़कर बोलता है। रोज नए- नए पिक्स सोशल मीडिया पर अपलोड करने का ट्रेंड युवाओं द्वारा चर्चा में है। फेसबुक, इंस्टग्राम, व्हाट्सऐप आदि सोशल मीडिया पर तरह- तरह की सेल्फी अपलोड करने का एक दौर चल रहा है। इसमें लोग सबसे ज्यादा अपनी फैमली मेम्बर्स के साथ सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करना पसंद करते हैं।

ये है युवाओं की फेवरेट सेल्फीस

  • डक फेस सेल्फी
  • जिम सेल्फी
  • नो मेकअप सेल्फी
  • बेल्फी सेल्फी
  • टंग सेल्फी
  • कार सेल्फी

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दिनभर में 10 से 15 सेल्फी लेते हैं युवा

शहर के युवाओं में सेल्फी को लेकर क्रेज इस हद तक बढ़ रहा है कि वे अपनी खूबसूरत तस्वीर अपलोड करने के लिए जान जोखिम में डाल देते हैं। कुछ लोग इस हद तक आदी हैं कि वे स्मार्टफोन से दिन में कम से कम 10 से 15 सेल्फी लेकर उन्हें सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपलोड करते हैं और हर मिनिट उस पर मिलने वाले कमेंट और लाइक्स को काउंट करते रहते हैं।

20 से 30 साल के युवा सेल्फी के गिरफ्त में

डॉ. अराधना बताती हैं कि मुख्यत: 20 से 30 साल के युवा इसके ज्यादा शिकार होते हैं। जो लोग खुलकर लोगों के साथ बात नहीं करते, इंट्रोवर्ड नेचर के होते हैं उन लोगों में इस तरह का ओब्सेशन ज्यादा देखने को मिलता है। ये लोग सामने आने से हिचकते हैं, इसलिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं।

महीने में 10 से 15 पेशेंट्स इस तरह के एडिक्शन के इलाज के लिए आ रहे हैं, जिन्हें बिहेवियरल एक्टिविटीज देकर ठीक किया जाता है। ऐसे लोगों को स्मार्टफोन से दूर रहकर अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए प्रेरित किया जाता है।

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सेल्फी का क्रेज बना मौत का सबब

डिग्री गर्ल्स कॉलेज की हिंदी की विभागाध्यक्ष सबिता मिश्रा बताती हैं कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सेल्फी के चक्कर में अक्सर लोगों को बहुत बड़ी जान की कीमत भी चुकानी पड़ती हैं।

सेल्फी का क्रेज दरअसल एक जानलेवा एडवेंचर साबित हो रहा है, जहां मौज-मस्ती की चाह और कुछ नया कर गुजरने ख्वाहिश रखनेवाले ज्यादातर युवाओं को जान से हाथ धोना पड़ता है या अन्य दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। यह अजीब विडंबना है कि महज एक सेल्फी का क्रेज युवाओं की जिंदगी को निगल रहा है।

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