जानिए पर्सनल रिश्तों में क्यों अहम होते हैं Emotion
यह सही है कि आज के प्रैक्टिकल वर्ल्ड में इमोशंस की कद्र कुछ कम हो गई है। प्रोफेशनल वर्ल्ड में भी इमोशनल के बजाय प्रैक्टिकल और स्मार्ट लोगों को ज्यादा पसंद किया जाता है। लेकिन पर्सनल रिलेशंस में आज भी इमोशंस को ही ज्यादा इंपॉर्टेंट माना जाता है। इसकी क्या वजह है, आप भी जानिए।

अपनी जिंदगी, रहन-सहन, रिश्तों को लेकर हमारा नजरिया समय के साथ बदलता रहता है। रिश्तों को लेकर ही नहीं उन्हें निभाने के तरीके में भी बदलाव आते हैं। कई लोगों का मानना है कि अब रिश्तों में पहले जैसे इमोशंस नहीं रहे, अब इनमें सतहीपन और प्रैक्टिकल अप्रोच शामिल हो गया है, जबकि ऐसा नहीं है। जब रिश्तों से जुड़ाव की बात आती है तो आज भी हम इमोशंस को ही ज्यादा इंपॉर्टेंट मानते हैं। खासतौर पर जब किसी के साथ प्यार के रिश्ते में होते हैं। शायद यही वजह है कि जब हम किसी के साथ लंबे समय के रिश्ते के लिए सोचते हैं तो सबसे पहले दिल और दिमाग में यह सवाल आता है कि हमारे या सामने वाले व्यक्ति में ऐसी कौन सी खूबी, ऐसा कौन सा भावनात्मक गुण है, जिससे दोनों ताउम्र एक-दूसरे से जुड़े रहें।
स्मार्टनेस बनाम ईमानदारी
भले प्रोफेशनल लाइफ में स्मार्टनेस को महत्व दिया जाता हो, लेकिन जब बात किसी के साथ इमोशनल रिलेशन में बंधने की आती है, तब हम स्मार्टनेस को ज्यादा इंपॉर्टेंस नहीं देते हैं। तब हम बहुत बुनियादी गुण ईमानदारी पर ही भरोसा करते हैं। हम जानते हैं, जो व्यक्ति ईमानदार होगा, वह सच्चा भी होगा। यही नहीं वह आपकी मर्यादा का भी हमेशा सम्मान करेगा। इसीलिए भले ही बाहरी दुनिया में, दफ्तर में स्मार्टनेस को इंपॉर्टेंस दी जाती हो, भले प्रमोशन पाने में स्मार्टनेस ज्यादा मायने रखती हो लेकिन जब बात दोस्ती, प्यार की हो, जब बात रिश्ता बनाने की हो तो ईमानदारी ही खरी समझी जाती है।
साफगोई बनाम शिष्टता
आमतौर पर साफगोई को पसंद किया जाता है। इसे प्रैक्टिकल अप्रोच माना जाता है। लेकिन हर समय साफगोई अच्छी नहीं होती। सच बोलना अच्छा है लेकिन वह प्यार से बोला जाना चाहिए, उसमें भी सामने वाले के मान का ध्यान रखना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जहां हमारा कोई निजी हित हो, जहां हमें किसी से आर्थिक या किसी भी किस्म का प्रोफेशनल फायदा हासिल करना हो, वहां साफगोई के बजाय शिष्टता का इस्तेमाल करें। लेकिन बात जब रिश्ते की हो या दोस्ती की तो साफगोई ज्यादा मायने रखती है। अगर आपको किसी की बात पसंद नहीं आती तो बजाय गोल-मोल करने के, बहुत विनम्रता से और पूरी साफगोई से कह देना चाहिए कि मुझे आपकी यह बात पसंद नहीं। कभी नहीं सोचना चाहिए कि इससे सामने वाला बुरा मानेगा। अगर आपका कोई अपना बुरा मान भी जाए तो बाद में उसके मन से यह भाव आएगा कि आप उसका ही भला चाहते हैं। आपकी साफगोई में उसकी भलाई छिपी होती है।
आत्मनिर्भरता बनाम पृष्ठभूमि
स्वावलंबी व्यक्ति हमेशा आत्मनिर्भर होता है। उसे दूसरे के सहारे की जरूरत नहीं रहती। ऐसे लोगों को हर कोई पसंद करता है। फिर चाहे पसंद करने वाला खुद आत्मनिर्भर न हो और अपनी बैकग्राउंड यानी पारिवारिक स्थिति के तमाम फायदे भी लेता हो। युवतियां तो खासतौर पर आत्मनिर्भर पुरुषों को पंसद करती हैं। वे उन पर हमेशा भरोसा करती हैं, जो मां-बाप की दौलत की बजाय अपने आप पर भरोसा करते हैं। कहने का मतलब है कि रिश्तों में प्रैक्टिकल अप्रोच के बजाय इमोशनल अप्रोच ज्यादा मायने रखती है। इससे रिश्ता गहरा और ताउम्र बना रहेगा।
लेखिका - किरण भास्कर
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