सिर्फ इन दो वजहों से पैरों में नहीं पहना जाता ''सोना'', जानें इसके पीछे की सच्चाई
''पायल'' का इस्तेमाल महिलाओं के एक श्रृंगार के रूप में होता है। महिला के सोलह श्रृंगार में एक आभूषण पायल भी है। भारतीय परंपरा के अनुसार शादीशुदा महिलाएं पैरों में पायल पहनती हैं।

'पायल' का इस्तेमाल महिलाओं के एक श्रृंगार के रूप में होता है। महिला के सोलह श्रृंगार में एक आभूषण पायल भी है। भारतीय परंपरा के अनुसार शादीशुदा महिलाएं पैरों में पायल पहनती हैं। लेकिन अब फैशन के दौर में लड़कियां भी एंकलेट्स पहनने लगी हैं।
आपने हमेशा देखा होगा कि पायल या पैरों में उंगलियों में पहनी जाने वाली बिछिया चांदी की ही होती है। क्या आपने कभी सोचा कि पैरों में पहने जाने वाले ये आभूषण चांदी के ही क्यों बनते हैं। या फिर पैरों में सोने की पायल क्यों नहीं पहनी जाती। जानिए इसके पीछे का कारण-
वैज्ञानिक कारण
साइंटिफिक या वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो सर गर्म होता है और पैर ठंडे होते हैं। शरीर के तापमान के बैलेंस को बनाएं रखने के लिए कमर के नीचे चांदी के आभूषण पहने जाते हैं। सोने के गहने गर्म और चांदी के गहने ठंडे होते हैं। इसीलिए कहा गया है कि कमर के नीचे चांदी के आभूषण पहनने से शरीर में गर्मी और शीतलता का संतुलन बना रहता है।
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वहीं अगर बात की जाए चांदी की बिछिया की तो यह सेहत के लिहाज से फायदेमंद होता है। पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनने से मासिक चक्र नियमित रहता है। इतना ही नहीं बिछिया एक्यूप्रेशर का भी काम करती है, जिससे तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़ियां और पेशियां सही रहती हैं।
धार्मिक कारण
धार्मिक रूप से देखा जाए तो सोने को एक लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। भगवान विष्णु की भी सबसे प्रिय वस्तु सोना ही है। यही कारण है कि सोने को शरीर के नीचले हिस्सों में नहीं पहना जाता। कहा भी गया है कि लक्ष्मी स्वरूप सोने को पैरों में पहनने से उसका अपमान होता है।
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