प्रदूषण से बढ़ा मधुमेह का खतरा, उपवास रखकर पा सकते हैं निजात
जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज रहा है, उन्हें इसका ज्यादा खतरा होता है।

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haribhoomi.comCreated On: 11 Dec 2015 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. वायू प्रदूषण से दमा व दिल के दौरे पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। हालिया शोध में यह बात भी सामने आई है कि अत्यधिक प्रदूषण, जिसमें पीएम 2.5 तक हो उसके संपर्क में आने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
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ऐसे बढ़ता है खतरा-
ढाई माईक्रोन से कम कोई भी कण सांस द्वारा अंदर ले लिया जाता है, जो हमारे रक्त में शामिल हो जाता है और प्रो-इनफ्लेमेट्री उत्पाद पैदा करता है, जिससे एंडोथिलायल काम करना बंद कर देता है, परिणामस्वरूप डायबिटीज और दिल के रोग हो जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक हवा में धूल कण 2.5 की मात्रा 10 से कम होनी चाहिए, लेकिन भारत में यह मात्रा हमेशा 60 से ज्यादा होती है। दरअसल भारत में 60 को ही 2.5 धूल कणों के मापदंड को सामान्य मापदंड मान लिया गया है, यानि भारतीय लोग पहले ही धूल कणों की छह गुना ज्यादा मात्रा के संपर्क में हैं। भारत में यह मात्रा कई क्षेत्रों में 300 से 400 तक पाई जाती है।
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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. ए. मारतंड पिल्लई ने कहा कि डायबिटीज का कारण बन रहे वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है। जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज रहा है, उन्हें इसका ज्यादा खतरा होता है। उन्हें आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए और प्रदूषित हवा से बचने के लिए बाहर कम से कम जाना चाहिए। उन्हें अपने खान-पान पर भी नजर रखनी चाहिए और नियमित रूप से सुबह एक्सरसाइज करनी चाहिए, जब हवा कुछ साफ होती है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण से बचाव के लिए काबरेहाईड्रेटस युक्त भोजन करें और साल के 80 दिन उपवास रखें। पीएम 2.5 के संपर्क में कम से कम आए।
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