Pakoda Politics: पकौड़े के नाम पर भजिया तलने में जुटीं राजनीतिक पार्टियां, जानें कहां की देन है ''पकौड़ा''
पकौड़ों के नाम पर इन दिनों भारत में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। अलग-अलग राजनीतिक पार्टी पकौड़ों के नाम पर अपनी-अपनी भजिया तलने में लगे हुए हैं।

पकौड़ों के नाम पर इन दिनों भारत में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। अलग-अलग राजनीतिक पार्टी पकौड़ों के नाम पर अपनी-अपनी भजिया तलने में लगे हुए हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि पकौड़े असल में किस देश की देन हैं।
वैसे तो भारत में ज्यादातर व्यंजन विदेशों से आए हैं, लेकिन पकौड़ा या पकौड़ी भारत की ऐसी डिश है, जो भारत के साथ दूसरे देशों में भी फेमस है। पकौड़े भारत की ही देन हैं। इसके बाद यह दूसरे देशों में फेमस हुआ और अब पकौड़ों को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है।
दूसरे देशों में कैसे पहुंचा पकौड़ा
16वीं शताब्दी में स्पेन और पुर्तगाल के जहाजों के नाविक भारत से अपने साथ कुछ रसोइयों को साथ ले गए थे। इन्होंने यूरोपीय लोगों को पकौड़ों और भज्जियां बनाकर उनका स्वाद चखाया। इसके बाद वे नाविक जापान में रुके, जहां कुछ रसोइये रुक गए। उन रसोइयों ने जापानियों को पकौड़ों का स्वाद चखाया, जो उन्हें बहुत पसंद आया। इसी प्रकार से पकौड़ा विभिन्न रूपों में और भी कई देशों तक पहुंच गया।
अलग-अलग देशों में पकौड़ों के अलग नाम
भारत में
- दक्षिण भारत में भजिया
- ओडिशा-बंगाल में ‘पियाजी’
- राजस्थान में, खास कर जोधपुर में 'मिर्ची बड़ा'
भारत के बाहर
- अमेरिका में ‘प्रेत्जल’
- यूरोप में ‘फ्रिटर्स’
- जापान में ‘टेंपुरा’
ऐसे शुरू हुई पकौड़े की बात
पकौड़ों पर सियासत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान के बाद शुरू हुई। उनसे इंटरव्यू में सवाल पूछा गया कि 'रोजगार के कितने अवसर भारत में आज सरकार सुलभ करा रही है?' इस प्रश्न का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'आपके दफ्तर के बाहर जो पकौड़े बेच रहा है, क्या वह रोजगार आपको नजर नहीं आ रहा है?' इसी हाजिरजवाबी के चलते पकौड़े पर सियासत शुरू हो गई है।
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