1 साल, 1 देश, दो बीमारी और दोगुनी हुई मरीजों की संख्या, पढ़ें चौंकाने वाली रिपोर्ट
आज कल की बदलती लाइफस्टाइल और सही खान-पान न होने के कारण ज्यादातर लोगों में डायबिटीज और हाई बीपी की समस्या देखने को मिलती है। इन दिनों भारत में डायबिटीज और हाई बीपी के मरीजों की तादात न सिर्फ बढ़ी है बल्कि बढ़कर दोगुनी हो गई है।

आज कल की बदलती लाइफस्टाइल और सही खान-पान न होने के कारण ज्यादातर लोगों में डायबिटीज और हाई बीपी की समस्या देखने को मिलती है। इन दिनों भारत में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की तादात न सिर्फ बढ़ी है बल्कि बढ़कर दोगुनी हो गई है। इसके अलावा भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।
एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस की तरफ से मरीज और उनकी बीमारी से जुड़ी एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
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रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 में सरकार के राष्ट्रीय परीक्षण कार्यक्रम के तहत जांच की गई थी। जांच में यह पाया गया कि भारत में डायबिटीज और हाई बीपी के मरीजों की संख्या पहले की तुलना में दोगुनी बढ़ गई है।
36 प्रतिशत बढ़े कैंसर के मामले
साथ ही इसी जांच के दौरान एक और चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। इसमें पाया गया कि भारत में एक साल के अंदर कैंसर के मामलों में 36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
डॉक्टरों की कमी
वहीं इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया कि इसके पीछे की वजह देश में डॉक्टरों की कमी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जांच में यह बात सामने आई है कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में 11,082 की आबादी पर एक डॉक्टर है।
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डॉक्टरों के लिए WHO का मानक
अगर बात की जाए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा तय किए गए मानकों की तो WHO के निर्देशानुसार 1 हजार व्यक्तियों पर एक डॉक्टर होना चाहिए। इसके मुताबिक तय किए मानकों के आधार पर यह अनुपात लगभग 11 गुना कम है। बिहार समेत जैसे कई राज्य ऐसे हैं जहां 28,391 की आबादी पर सिर्फ एक डॉक्टर है।
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