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नेकी से मिलता है, आनंदमय-सफल जीवन : डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

आपका भविष्य आपके हाथ में

नेकी से मिलता है, आनंदमय-सफल जीवन : डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
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हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां कई लोग मानते ही नहीं कि वे जो कुछ करते हैं, उसका कोई नैतिक पहलू भी होता है। इसलिए हमें वही करना चाहिए जो परिस्थितियों के अनुकूल हो। हम सबने, कभी न कभी, यह बात अवश्य सुनी होगी, ‘ठीक है, आप अपने ढंग से काम करें।’

हम में से कई लोग ऐसे हैं, जो इसी तरीके से जी रहे हैं, अपनी इच्छा से काम करते हुए। लेकिन इससे बेहतर भी एक तरीका आपके पास मौजूद है और वह तरीका है नेक जीवन जीने का। नेकी की महत्ता को बताता ‘आपका भविष्य आपके हाथ में’ पुस्तक का एक संपादित अंश।

करें सही-गलत की पहचान

नेकी में बहुत सादगी होती है, बहुत सरलता। जिंदगी में हम जिस किसी भी स्थिति का सामना करते हैं, उसमें हम सही कदम उठा सकते हैं, या गलत कदम उठा सकते हैं। अगर हम सही कदम उठाते हैं, तो दरअसल हम नेकी के सिद्धांतों के अनुसार अपने काम को अंजाम देते हैं, जिसमें ईश्वर की दी हुई शक्ति भी शामिल होती है। और यदि हम गलत कदम उठाते हैं तो उस स्थिति में हम पूर्णतया अकेले होते हैं, कोई हमारे साथ नहीं होता और ऐसे में असफलता हमारी नियति बन जाती है।

अब प्रश्न उठता है कि हम यह कैसे जानें कि क्या सही है और क्या गलत? ऐसे में हम प्रार्थना का सहारा लेते हैं, जिसकी रचना एक ऐसी प्रणाली के रूप में की गई है, जिसकी सहायता से हम इंसान के मन में सच्चाई की अवधारणा पहुंचाते हैं। ईश्वर, हमारे अंत:करण, रूह या आत्मा के माध्यम से हमारे मन को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है।

वह हमें ऐसी स्पष्टता देता है, जिससे हम सत्य की अवधारणाओं को समझने की शक्ति प्राप्त करते हैं। इस तरीके से इश्वर हमें गलत कार्यों के उदाहरण से सही कार्य करने की शिक्षा देता है।

यदि हम ईश्वर के तरीकों को सीखने और उन तरीकों का पालन करने के इच्छुक होते हैं, तो हमें गलत और सही के बीच के अंतर को जानने के लिए अनुमानों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा, बल्कि तब हमें निश्चित रूप से इनके अंतर का स्वत: ही ज्ञान हो जाएगा।

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