भारत में बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण निमोनिया: रिपोर्ट
आईएमए की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में देश में तीन लाख से ज्यादा बच्चों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 4 July 2017 1:33 AM GMT
दुनिया में निमोनिया जैसी बीमारी से बच्चों की सबसे ज्यादा भारत में मौत होती है। बता दें कि आईएमए की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में देश में तीन लाख से ज्यादा बच्चों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है।
इस बीमारी से बच्चों की अधिक मौतों वाले अन्य देशों में नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अंगोला प्रमुख हैं। हालांकि, इन देशों में निमोनिया से होने वाली मौतों पर नियंत्रण के प्रयास हुए हैं, लेकिन दुनिया भर में सैकड़ों हजार मौतें अभी भी इस रोग के चलते जारी हैं।
आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के अध्यक्ष ने कहा कि बच्चे की नाक व गले में आम तौर पर पाए जाने वाले विषाणु एवं जीवाणु सांस के साथ कई बार फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। खांसते या छींकते समय बूंदों के रूप में भी ये हवा में फैल जाते हैं।
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ज्यादातर बच्चे रोगों से लड़ने की अपनी प्राकृतिक शक्ति से इस रोग से पार पा लेते हैं। परंतु, कुछ बच्चों में, खासकर कुपोषण के शिकार अथवा स्तनपान से वंचित बच्चों में यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। घर के अंदर वायु प्रदूषण, भीड़भाड़ में रहने और माता-पिता के धूम्रपान के कारण भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है।”
उन्होंने कहा कि स्तनपान निमोनिया को रोकने में पूर्णत: प्रभावी तो नहीं है, लेकिन इससे बीमारी की मियाद जरूर कम हो जाती है। घरेलू प्रदूषण से बचाव और भीड़भाड़ से बच्चे को बचाकर भी इस रोग से बचाव किया जा सकता है।
आईएमए के अनुसार, निमोनिया एक तरह का गंभीर श्वसन संक्रमण है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में, फेफड़ों के छोटे-छोटे भागों में श्वसन के दौरान हवा भरती है।
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