Lohri Festival 2019 : लोहड़ी के त्यौहार से जुड़ी 5 रोचक बातें
लोहड़ी का त्यौहार इस साल 14 जनवरी 2019 को पंजाब और हरियाणा के साथ पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा। लोहड़ी का त्यौहार ( Lohri Festival) मनाने के पीछे जहां नई फसल आने की किसानों को खुशी होती है। तो वहीं पंजाब और हरियाणा की मान्यता के मुताबिक लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) पौष महीने की आखिरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने से ''मकर सक्रांति'' मनाया जाता है। जिसे ''माघी'' भी कहा जाता है। लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) मनाने के लिए वैसे तो लोग बहुत सारी तैयारियां करते हैं, जिसमें खाने पीने की चीजों के साथ ही मौज मस्ती का रंग जमाने के लिए लोकगीतों की धूम रहती है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 7 Jan 2019 7:14 PM GMT
लोहड़ी का त्यौहार 2019 (Lohri Festival 2019) इस साल 14 जनवरी 2019 को पंजाब और हरियाणा के साथ पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा। लोहड़ी का त्यौहार ( Lohri Festival) मनाने के पीछे जहां नई फसल आने की किसानों को खुशी होती है। तो वहीं पंजाब और हरियाणा की मान्यता के मुताबिक लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) पौष महीने की आखिरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने से 'मकर सक्रांति' मनाया जाता है। जिसे 'माघी' भी कहा जाता है। लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) मनाने के लिए वैसे तो लोग बहुत सारी तैयारियां करते हैं, जिसमें खाने पीने की चीजों के साथ ही मौज मस्ती का रंग जमाने के लिए लोकगीतों की धूम रहती है। अगर आप इस साल अपने लोहड़ी का त्यौहार ( Lohri Festival) में कुछ अलग और यूनिक करना चाहते है, तो ऐसे में आज हम भी आपको आपके लोहड़ी का त्यौहार ( Lohri Festival) को यादगार बनाने के लिए कुछ टिप्स और उसे मनाने का तरीका बता रहे हैं। जिससे इस साल का लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) स्पेशल बना सकें।
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लोहड़ी का त्यौहार मनाने का तरीका और रोचक बातें ( Lohri festival celebration tips and intersting Facts)
1.लोहड़ी शब्द का अर्थ
लोहड़ी को पहले तिलोड़ी के पुकारा जाता था। क्योंकि लोहड़ी दो शब्दों यानि तिल और गुड़ की रोड़ी से मिलकर बना है। लेकिन समय के साथ आए बदलाव की वजह से तिलोड़ी को लोहड़ी कहा जाने लगा। लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) पंजाब और हरियाणा में मुख्य रूप से बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन धीरे-धीरे अब लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) देश के दूसरे हिस्सों में भी मनाया जाने लगा है।
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2. कैसे मनाते हैं लोहड़ी का त्यौहार
लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) मनाने के लिए लोग लोहड़ी की शाम को घर के आंगन या किसी बड़ी जगह पर लकड़ियों एक का ढेर बनाते हैं और लोहड़ी की पूजा करने से पहले उसमें अग्नि जलाकर, फिर उसके चारों तरफ लोकगीतों को नाचते-गाते चक्कर लगाते हुए आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्के के फूले को डालते हैं। इसके बाद रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का के फूलों को लोगों में बांटा जाता है। आमतौर पर लोहड़ी पर ऐसे लोकगीतों की धूम रहती है...
सुंदर मुंदरिए - हो तेरा कौन विचारा-हो
दुल्ला भट्टी वाला-हो
दुल्ले ने धी ब्याही-हो
सेर शक्कर पाई-हो
कुडी दे बोझे पाई-हो
कुड़ी दा लाल पटाका-हो
कुड़ी दा शालू पाटा-हो
शालू कौन समेटे-हो
चाचा गाली देसे-हो
चाचे चूरी कुट्टी-हो
जिमींदारां लुट्टी-हो
जिमींदारा सदाए-हो
गिन-गिन पोले लाए-हो
इक पोला घिस गया जिमींदार वोट्टी लै के नस्स गया - हो!
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लोहड़ी पर घर में ऐसे बनाएं पंजाब की मशहूर उड़द दाल की 'पिन्नी'
3.लोहड़ी के खास पकवान
लोहड़ी के दिन घरों में तिल से बने पकवानों और व्यंजन बनाएं जाते हैं। साथ ही पंजाब के मशहूर मक्का की रोटी और सरसों का साग, छोले भठूरे, उड़द दाल की पिन्नी आदि बनाए जाते हैं, साथ ही रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्के के फूले का भी मजा लिया जाता है।
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4.लोहड़ी का त्यौहार होता है लड़कियों के लिए खास
लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) लड़कियों के लिए बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन नवविवाहित लड़कियां (चाहें वो नई बहु हो या बेटी) या घर में किसी बच्चे के जन्म हो तो, उन्हें लोहड़ी पर विशेष बधाई दी जाती है। लोहड़ी के दिन लड़कियों को घर पर स्पेशल बुलाकर त्यौहार को मनाया जाता है। इसके अलावा लोहड़ी की रात को लोग लोकगीतों के साथ ही मॉडर्न गानों पर भी धूम मचाते हैं। साथ ही गिद्दे और भांगड़े किया जाता है।
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5. लोहड़ी की मान्यता
लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) मनाने के पीछे वैसे तो कई सारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। लेकिन आमतौर पर लोहड़ी का संबंध पंजाब के गांव, फसल और मौसम से माना जाता है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इसके साथ ही साल की पहली रबी की फसल काटकर घर में रखी जाती है।
लोहड़ी का त्यौहार (Lohri Festival) मनाने के पीछे की एक और मान्यता के मुताबिक, सुंदरी और मुंदरी नाम की दो लड़कियों को राजा से बचाकर एक दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने दो अच्छे लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी। जब से ही लोहड़ी के दिन उनके नाम पर बने लोकगीत... सुंदर मुंदरिए - हो तेरा कौन विचारा-हो, दुल्ला भट्टी वाला-हो...चलन में आ गया।
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