जानिएः अधिक तनाव से हो सकते हैं मिर्गी के शिकार, मानसिक गड़बड़ियों का दुष्परिणाम
अवसाद की तरह मिर्गी में भी न्यूरोट्रांसमिटर्स सेरोटेनिम एवं नोरेपाइनफ्राइन का अंत:स्राव एक ही तरह से होता है।

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haribhoomi.comCreated On: 8 Nov 2014 12:00 AM GMT
शोधकर्ता कहते हैं कि अधिक तनाव से आदमी मिर्गी का शिकार हो सकता है। मिर्गी और तनाव लगभग समान मानसिक गड़बडियों के दुष्परिणाम हैं। दोनों परिस्थतियों में दिमाग में सिकुड़न जैसी जटिलताएं पैदा हो जाती हैं। इलिनॉयस विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि मिर्गी और तनाव में रिश्ता है।
इससे पहले भी अमेरिका और स्वीडन के इन शोधकर्ता इन दोनों बीमारियों के बीच रिश्ता होने की पुष्टि कर चुके हैं।शोधकर्ता फिलिप जॉब ने कहा-तनाव से मुक्ति के लिए त्वरित कदम उठाए जाने चाहिएं। अगर तनाव बढ़ता चला जाए तो यह मिर्गी में तबदील हो जाता है। जॉब और उनके सहयोगी शोधकर्ता ने अमेरिका एसोसिएशन फॉर एडवांसमैंट ऑफ साइंस की सालाना बैठक में अपने शोध निष्कर्षों का खुलासा किया। इन शोधकर्ताओं ने चूहों पर लम्बा परीक्षण किया।
शिकागो स्थित सैंट ल्यूक्स मैडीकल सैंटर के इन शोधकर्ता एंडेस कैनर ने इस मौके पर कहा कि चूहे पर दोनों बीमारियों के लिए किए गए शोध से यह पता चला है कि इन बीमारियों में एक ही तरह की मानसिक गड़बड़ियां पैदा होती हैं। शोधकर्ता के अनुसार अवसाद की तरह मिर्गी में भी न्यूरोट्रांसमिटर्स सेरोटेनिम एवं नोरेपाइनफ्राइन का अंत:स्राव एक ही तरह से होता है। उन्होंने कहा कि इसे मनोवैज्ञानिक असंतुलन न मानकर एक जटिल कार्बनिक प्रक्रिया का परिणाम माना जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि अन्य असाध्य बीमारियों की तुलना में मिर्गी के मरीजों में तनाव का स्तर अधिक होता है। लॉग लाइलैंड जेविश कम्प्रेहैंसिव इपिलेप्सी सेंटर के एलेन इटिगर ने बताया कि हमने 775 मिर्गी मरीजों पर शोध किया। इससे पता चला कि तकरीबन 37 फीसदी लोग उच्च तनाव के भी शिकार हैं।
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