महिला ने की कैंसर को 16 हफ्ते की प्रेगनेंसी समझने की गलती, जानिए क्या है Colon Cancer और इसके लक्षण
महिला ने कोलन कैंसर को प्रेगनेंसी समझने की गलती कर दी। जानिए क्यों इस बीमारी को गंभीर माना जाता है।

कोलन कैंसर के लक्षण नहीं दिखते हैं।
Colon Cancer Symptoms: कैंसर के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा कभी भी घटता नहीं है। इसकी वजह ये है कि कैंसर अनियंत्रित कोशिकाओं की ग्रोथ को कहते हैं। बॉडी में जहां-जहां मसल्स होती हैं, कैंसर उन जगहों पर कहीं भी डेवलप हो सकता है। इस गंभीर बीमारी का इलाज मुमकिन होने के बाद भी कैंसर जानलेवा है। इसकी वजह ये है कि इंसान को समय रहते लक्षणों की जानकारी नहीं हो पाती है। ऐसे में जब तक लक्षणों का पता चलता है, तबतक काफी देर हो चुकी होती है। वहीं, कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं कि व्यक्ति कैंसर के लक्षणों को कोई अन्य बीमारी समझकर, अच्छी तरह इसका इलाज नहीं कराता है। आज हम आपको इसे तरह के बहुत ही हैरान कर देने वाले मामले के बारे में बताएंगे कि कैसे महिला ने कैंसर को कुछ और ही समझ लिया था।
कैंसर को समझा था प्रेगनेंसी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉक्टर. लॉरेन जुइया अपने अंदर पनप रहे कैंसर का ही पता नहीं लगा पाई थीं। अमेरिका के फ्लोरिडा में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. लॉरेन को पेट में दर्द और थकान महसूस हुई थी। बाद में, पता चला कि उन्हें कोलन कैंसर है। आमतौर पर यह कैंसर महिलाओं में देखने को मिल रहा है। हैरान करने वाली बात ये है कि पेशे से महिला डॉक्टर इसे 16 हफ्ते की प्रेगनेंसी समझने की गलती कर बैठी थीं।
कोलन कैंसर के लक्षण
महिला डॉक्टर ने बताया कि उन्हें थकान महसूस होती थी, इस थकान की वजह से वह अपने दोनों बच्चों की देखभाल करने और उन्हें समय देने में असमर्थ थीं। उन्हें ये सामान्य थकान लगती थी, आइये अब जानते हैं कोलन कैंसर के लक्षण क्या है।
पेट में दर्द
वजन कम होना
मल त्याग में बदलाव
शौच में ब्लड आना
लूज मोशन और कब्ज आदि
कोलन कैंसर के लक्षण समझना बहुत मुश्किल
डॉ. लॉरेन का कहना है कि लक्षणों की जानकारी जल्द नहीं हो पाती है, क्योंकि जवान लोगों में शरीर पर इस बीमारी का ज्यादा असर नहीं दिखता है। वहीं, अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के आंकड़ों की बात करें, तो 2020 में कोलन कैंसर के 2 मिलियन मामले सामने आए। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर से होने वाली मौतों में कोलोरेक्टल कैंसर सबसे आम कारण होता है। इससे हर साल दुनिया में लगभग 1 मिलियन लोगों की मौत होती है।

Harsha Singh
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है। कॉलेज के दौरान ही कुछ वेबसाइट्स के लिए फ्रीलांस कंटेंट राइटर के तौर पर काम किया। अब बीते करीब एक साल से हरिभूमि के साथ सफर जारी है। पढ़ना, लिखना और नई चीजे एक्स्प्लोर करना पसंद है।