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बर्गर नहीं समोसा है आपकी सेहत के लिए बेहतर, Assocham रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे के बारे में जानें

पश्चिमी बर्गर के मुकाबले भारतीय समोसा हम सभी की सेहत के लिए ज्यादा अच्छा होता है। साथ ही, यहां जानिए पैक्ड या खुली हुई चीजों में से कौन सी भारतीयों की पहली पसंद हैं।

Many big revelations in the Assocham report.
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एसोचैम रिपोर्ट में हुए कई बड़े खुलासे।

Assocham Report On Food: वेस्टर्न खाने के मुकाबले भारतीय व्यंजनों को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है। हमेशा से ऐसा माना जाता है कि भारत में बनने वाले व्यंजन सेहत के लिहाज से ज्यादा बेहतर होते हैं। ऐसे में उद्योग संगठन मीनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानी Assochamने इस मुद्दे से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एसोचैम के कार्यक्रम में भारतीय खाने पर तैयार हुई Indian Cuisine at Crossroads रिपोर्ट को रिलीज किया। इस रिपोर्ट में बर्गर के मुकाबले समोसे को सेहत के लिए ज्यादा बेहतर बताया है। आइए जानते हैं, इस रिपोर्ट में और किन बातों को शामिल किया गया है।

ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड चीजों में किसका इस्तेमाल ज्यादा

एसोचैम की रिपोर्ट में एक सर्वे को भी शामिल किया गया है। यह सर्वे देश की 12 बड़ी आबादी वाले शहरों में जाकर किया गया था। इस पूरे सर्वे में 5 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे में लोगों से पूछा गया कि क्या आप पैकेट बंद प्रोडक्ट्स के ऊपर लिखी जानकारी को पढ़ते हैं, तो इस पर 40 प्रतिशत लोगों का जवाब हां में था। वहीं, इस सर्वे में यह भी बताया गया कि भारत में ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड फूड की खपत का रेश्यो 1:3 है, जिसका मतलब ये है कि भारत में लोग नॉन ब्रांडेड खाने का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। इसकी वजह यह हो सकती है कि नॉन ब्रांडेड फूड ब्रांडेड चीजों के मुकाबले ज्यादा सस्ता और आसानी से उपलब्ध होता है।

नॉन ब्रांडेड खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं

बता दें कि इस सर्वे में 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नॉन ब्रांडेड खाने में मौजूद ज्यादा चीनी, नमक और फैट के नुकसान को वह अच्छी तरह जानते हैं। लोगों ने चिंता जताते हुए यह भी कहा कि नॉन ब्रांडेड और अनपैक्ड खाने को लेकर इंडियन फूड कमिटी को कड़े नियम बनाने चाहिए। सर्वे के मुताबिक, लोगों ने इस बात को माना कि नॉन ब्रांडेड प्रोडक्ट की जांच होने के बाद ही इन्हें मार्केट में आने की अनुमति मिलनी चाहिए। आपको जानकार हैरानी होगी कि सर्वे के मुताबिक, टीयर-1 की तुलना में टीयर-2 शहर के लोग अपने खानपान को लेकर ज्यादा जागरूक हैं।

बर्गर से कई गुना हेल्दी हैं समोसे

देश में आजकल के मॉडर्न समय में खाने से लेकर कपड़ों तक हर क्षेत्र में वेस्टर्न चीजों का बोलबाला है। ऐसे में अगर बर्गर और समोसा की तुलना करें, तो दोनों ही जंक फूड हैं। इस दोनों को ही सेहत के लिए उच्च नहीं माना जाता है, लेकिन आपको बता दें कि समोसा बनाने के लिए फ्रेश चीजों का इस्तेमाल होता है। वहीं, बर्गर में प्रिजरवेटिव्स का भी इस्तेमाल किया जाता है। समोसा मैदा से बना होता है और कुकिंग ऑयल में इसे तला जाता है। साथ ही इसमें जीरा, उबले आलू, मटर, नमक, मिर्च और मसाले आदि किया जाता है। वहीं बर्गर पैक्ड इंग्रेडिएंट्स से बनता है, इसका ब्रेड कई दिनों पुराना भी हो सकता है। इस तरह की चीजों को खाने के बाद सेहत को बहुत नुकसान हो सकता है।

समोसा में मैदा का इस्तेमाल डायरेक्ट किया जाता है, वहीं बर्गर के बैटर को बनाने के लिए मैदे में यीस्ट का इस्तेमाल होता है। कई बार बर्गर की टिक्की बनाने के लिए कुकिंग ऑयल के अलावा अन्य तेलों का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में बर्गर की तुलना में समोसा सेहत के लिए ज्यादा बेहतर होता है। हालांकि, इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप इसका ज्यादा सेवन करने लगें, क्योंकि समोसा अनहेल्दी फूड या जंक फूड में ही आता है।

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Harsha Singh

Harsha Singh

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है। कॉलेज के दौरान ही कुछ वेबसाइट्स के लिए फ्रीलांस कंटेंट राइटर के तौर पर काम किया। अब बीते करीब एक साल से हरिभूमि के साथ सफर जारी है। पढ़ना, लिखना और नई चीजे एक्स्प्लोर करना पसंद है।


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