इस लाइलाज बीमारी से रहना है दूर, तो अपनाएं ये टिप्स
देश ही नहीं पूरी दुनिया में डायबिटीज पेशेंट्स की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अपनी लाइफस्टाइल और डाइट के प्रति बढ़ती लापरवाही बरतने की आदत से यह रोग लोगों में तेजी से बढ़ रहा है।

डायबिटीज एक क्रॉनिक मेडिकल कंडीशन है, जो लाइलाज है लेकिन जीवनशैली में परिवर्तन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज को साइलेंट और पोटेंशियल किलर दोनों कहते हैं।
साइलेंट किलर इसलिए क्योंकि इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना आसान है। पोटेंशियल किलर इसलिए क्योंकि रक्त में शुगर का उच्च स्तर प्वॉइजन के समान कार्य करता है और शरीर के कई अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। भारत की 5 प्रतिशत जनसंख्या डायबिटीज से पीड़ित है।
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कब होती है समस्या
डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी एक लाइलाज बीमारी है। डायबिटीज तब होती है, जब अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या जब शरीर प्रभावकारी तरीके से अपने द्वारा स्रावित उस इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता।
दरअसल, इंसुलिन एक हार्मोन है, जो रक्त की शर्करा को नियंत्रित रखता है। रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने से हाइपरग्लाइसीमिया और शुगर लेवल कम होने को हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं।
डायबिटीज को जो बात अधिक गंभीर बनाती है, वो मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, जिससे किडनी फेल होने, ब्रेन स्ट्रोक, रेटिनोपेथी, हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
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रख सकते हैं नियंत्रण
वैसे तो डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है लेकिन अपनी जीवनशैली, खान-पान और खराब आदतों से दूर रहकर रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखकर सामान्य जीवन जिया जा सकता है।
हेल्दी फूड
डायबिटीज 2 को नियंत्रित रखने के लिए बैलेंस्ड डाइट जरूरी है। ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए अपने खान-पान का ध्यान रखें। अगर आप हेल्दी डाइट लेंगे तो दवाइयों की जरूरत भी कम पड़ेगी।
इसमें आपका खान-पान आपके ब्लड में शुगर लेवल को प्रभावित करता है। सब्जियां, फल, साबुत अनाज और फाइबर युक्त खाद्य सामग्री अधिक मात्रा में खाएं। वसा रहित डेयरी उत्पाद का सेवन करें।
उन फूड्स का सेवन कम मात्रा में करें, जिनमें वसा और शुगर की मात्रा अधिक होती है, जैसे बेकरी उत्पाद, फास्ट फूड, मिठाइयां, तली-भुनी चीजें आदि। ध्यान रखें कि कार्बोहाइड्रेट, शुगर में बदल जाता है, इसलिए कार्बोहाइड्रेट के इनटेक को लेकर सावधान रहें। प्रतिदिन नाश्ता जरूर करें।
एक्सरसाइज-योग
अगर आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं तो बहुत अच्छा है, अगर नहीं करते हैं तो तुरंत शुरू कर दें। रोज कम से कम तीस मिनट एक्सरसाइज करें।
सक्रिय जीवन जीने से रक्त में शुगर के स्तर को कम करने में सहायता मिलती है। अगर आपका वजन अधिक है तो आदर्श बीएमआई पाने के लिए धीरे-धीरे वजन कम करें।
योग भी डायबिटीज पीड़ितों को सामान्य जीवन जीने में बहुत सहायता करता है। गोमुखासन, पश्चिमोत्तासन, हलासन, अर्ध-मत्सयेंद्रासन, मयूरासन एंडोक्राइन सिस्टम की कार्यप्रणाली को संतुलित रखने में सहायता करते हैं।
योग एंडोक्राइन ग्रंथियों के स्रावण को सामान्य बनाए रखते हैं, जो शरीर में इंसुलिन को अधिक प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने में सहायता करते हैं। योगासनों से अग्नयाशय और यकृत की कार्यप्रणाली में सुधार होता है।
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तनाव से दूर रहें
तनाव के कारण आपके ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। जब आप तनाव में होते हैं, तो आपका बीपी बढ़ जाता है और जब आप उत्तेजित होते हैं, तब डायबिटीज का अच्छी तरह प्रबंधन नहीं कर पाते हैं।
इससे बचने के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करें, पूरी नींद लें, सकारात्मक रहें। ध्यान और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें, ये आपके मस्तिष्क को शांत करेंगे।
हेल्थ चेकअप कराएं
अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच कराते रहें। साल में दो बार डॉक्टर से चेकअप जरूर कराएं। डायबिटीज के कारण हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है। आंखों की जांच भी कराते रहें, क्योंकि ब्लड शुगर लेवल का आंखों के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
धूम्रपान-एल्कोहल से बचें
डायबिटीज के कारण हृदय रोग, नेत्र रोग, स्ट्रोक, किडनी रोग, रक्त वाहिकाओं की बीमारी, तंत्रिकाओं के क्षतिग्रस्त और फीट प्रॉब्लम्स जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन करने वालों को इन बीमारियों के होने की आशंका और बढ़ जाती है। धूम्रपान और अल्कोहल के सेवन से बचें। जो लोग एल्कोहल का सेवन नहीं करते, उनके लिए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना आसान होता है।
दांतों की देखभाल
डायबिटीज के कारण दांतों और मसूड़ों से संबंधित समस्याएं हो जाती हैं, जिसे जिंजिवाइटिस और पीरियोडोंटिस कहते हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में शुगर का स्तर बढ़ने से प्लैक अधिक और लार कम बनने लगती है।
डायबिटीज के कारण कई लोगों में मसूड़ों में रक्त संचरण प्रभावित होता है। इसके कारण मसूड़ों के टिश्यूज में पाए जाने वाले कोलैजन प्रोटीन में भी कमी आ जाती है, जिसके कारण मसूड़े कमजोर हो जाते हैं और दांत ढीले हो जाते हैं।
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आंखों का रखें ख्याल
डायबिटीज से पीड़ित 20 प्रतिशत लोगों में रेटिनोपैथी अर्थात आंखों के प्रभावित होने की आशंका होती है। डायबिटीज रेटिना की छोटी-छोटी रक्त नलिकाओं को हानि पहुंचा सकता है, जो संभावित रूप से दृष्टिहीनता की ओर ले जाती है।
डायबिटीज के कारण मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसे गंभीर नेत्र रोग की आशंका भी बढ़ जाती है। हालांकि नियमित रूप से आंखों की जांच और समय पर उपचार से इन रोगों के खतरे को 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
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