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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: जानें सूर्य नमस्कार के पांच नियम और उसके लाभ

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2018 का मुख्य कार्यक्रम देहरादून में आयोजित किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। सूर्य नमस्कार कुछ यौगिक क्रियाओं का ऐसा संगम है, जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में बहुत प्रभावी है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: जानें सूर्य नमस्कार के पांच नियम और उसके लाभ
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2018 का मुख्य कार्यक्रम देहरादून में आयोजित किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर इस रिपोर्ट में हम आपको सूर्य नमस्कार से जुड़ी हर जानकारी बताने जा रहे हैं। इस बारे में रामानुजन कॉलेज, दिल्ली विवि के फिजिकल एजुकेशन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शिखा शर्मा कुछ चीजें साझा कर रही हैं।

सूर्य नमस्कार कुछ यौगिक क्रियाओं का ऐसा संगम है, जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में बहुत प्रभावी है। लेकिन इसके लिए हमें इसके सही क्रम को अपनाना होगा और कुछ बातों का खयाल भी रखना होगा।

हम में से कई लोग सुबह के समय सूर्य नमस्कार करते नजर आते हैं। यह प्रकृति पूजन का अभ्यास ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने का भी अभ्यास है।

यह कुछ निश्चित शारीरिक आसनों के अभ्यास का एक ऐसा क्रम है, जो पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण करता है। सूर्य नमस्कार शरीर में प्रवाहित होने वाली ऊर्जा को व्यवस्थित करता है। शरीर तथा मन के बीच सामंजस्य बनाता है।

पांच नियम

सूर्य नमस्कार के पांच प्रमुख नियम हैं। इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना चाहिए।

शारीरिक स्थिति- इसे अच्छी तरह सीखने के लिए इससे जुड़े विशेषज्ञ यानी गुरु के मार्गदर्शन में इसे करना चाहिए ताकि हमें विशेष लाभ प्राप्त हो सके। ऐसा इसलिए जरूरी है, जिससे शारीरिक स्थितियों का असर शरीर के विभिन्न अंगों पर ठीक से पड़े।

श्वांस विधि- सूर्य नमस्कार का महत्वपूर्ण पक्ष श्वसन है। सांस और शारीरिक गति में तालमेल के बिना सूर्य नमस्कार से होने वाले विभिन्न प्रकार के फायदे हमें नहीं मिल पाएंगे। हरेक स्थिति में सांस गहरी, लंबी और प्राकृतिक होनी चाहिए। इसमें जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

मंत्र- सूर्य नमस्कार की प्रत्येक स्थिति से संबंधित एक मंत्र होता है। मंत्र विशिष्ट अक्षरों और ध्वनियों के मेल से बना होता है। सूर्य नमस्कार करते समय सांस के साथ मंत्र को भी जोड़ दिया जाता है, जिसका असर सूक्ष्म और व्यापक रूप से शरीर और मन पर पड़ता है।

सजगता- सूर्य नमस्कार का एक महत्वपूर्ण पक्ष सजगता भी है। इसकी कमी से हम इससे होने वाले बहुत सारे लोगों से वंचित रह सकते हैं। सूर्य नमस्कार की प्रत्येक स्थिति को पूरी सजगता पूर्वक चेतन मन से करना चाहिए।

शिथलीकरण- सूर्य नमस्कार करने के बाद शिथलीकरण का अभ्यास करना चाहिए। इसके लिए शवासन सर्वोत्तम है। इस अभ्यास को करने से हम पूर्णता का अनुभव करते हैं।

क्रम रखें सही

सूर्य नमस्कार की बारह स्थितियों को अच्छी तरह से सीख लेना चाहिए। प्रारंभ में केवल शारीरिक स्थितियों के क्रम का ख्याल रखें। जब इन स्थितियों को दक्षता और सजगतापूर्वक कर लें तो उसके बाद शारीरिक स्थिति के साथ श्वांस-प्रश्वांस को तालमेल बिठाएं। इसके बाद मंत्र को एक-एक करके सीख लें। प्रत्येक स्थिति के साथ तथा श्वांस-प्रश्वांस के साथ इन मंत्रों को जोड़ दें, तभी सूर्य नमस्कार का पूर्ण लाभ मिलेगा।

लाभ

  • सूर्य नमस्कार संपूर्ण शरीर के लिए एक संतुलित व्यायाम है, जिसका प्रभाव संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
  • इससे शरीर की एक-एक कोशिका को आॅक्सीजन की आपूर्ति होती है।
  • शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
  • सूर्य नमस्कार से हड्डियां मजबूत होती हैं तथा मांसपेशियां लचीली बनती हैं।

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