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सर्दियों में बार-बार होने वाले रोगों को करना है जड़ से खत्म, तो जरूर पढ़ें ये खबर

जब मौसम बदलता है तो रोगों के संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में सजग रहकर बीमारियों से बचा जा सकता है। लेकिन अगर फिर भी मौसमी संक्रमण हो जाए तो डॉक्टर की सलाह पर होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कारगर हो सकता है।

सर्दियों में बार-बार होने वाले रोगों को करना है जड़ से खत्म,  तो जरूर पढ़ें ये खबर
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इन दिनों मौसम लगातार बदल रहा है, जहां दिन में धूप और गर्मी होती है, वहीं पर रात और सुबह हल्की ठंडक। मौसम का लगातार बदलता मिजाज सेहत के लिए अनेक परेशानियां उत्पन्न करता है। बदलते मौसम में ज्यादातर लोग वायरल फीवर, फ्लू, जुकाम, सर्दी, खांसी, गले में खराश से परेशान हो जाते हैं, लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी रखें, खान-पान पर नियंत्रण रखें और होम्योपैथिक दवाइयों का उपयोग करें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं।

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1.वायरल फीवर

जब जाड़ा शुरू हो रहा होता है और वातावरण में नमी रहती है, ऐसे में तापमान घटता-बढ़ता रहता है। दिन में गर्मी और रात में सर्दी होती है। यह मौसम वायरस और बैक्टीरिया के फैलने के लिए बहुत ही मुफीद रहता है। इस मौसम में ज्यादातर लोग वायरल फीवर की शिकायत करते हैं। इसमें तेज बुखार, आंख से पानी, आंखें लाल, शरीर में दर्द, कमजोरी, कब्ज या दस्त, चक्कर आना, कभी-कभी मितली के साथ उल्टी के भी लक्षण हो सकते हैं।
इस बुखार से बचाव के लिए आवश्यक है कि साफ-सफाई रखें और रोगी के सीधे संपर्क से बचें। रोगी को हवादार कमरे में रखें, सुपाच्य भोजन दें। अगर बुखार ज्यादा हो साधारण साफ पानी से पट्टी करें। वायरल बुखार के उपचार में जहां कई बार एलोपैथिक दवाइयां अपनी असमर्थता जाहिर कर देती हैं, वहीं होम्योपैथिक दवाइयां पूरी तरह रोगी को ठीक कर देती हैं।
वायरल फीवर में जल्सीमियम, डत्कामारा, इपीटोरियम फर्क, बेलाडोना, यूफ्रेशिया, एलियम सिपा, एकोनाइट आदि दवाइयां बहुत ही लाभदायक हैं। सुबह-शाम तापमान में गिरावट के कारण श्वसनतंत्र में प्रदूषित कण प्रवेश कर जाते हैं, जिससे दमा एवं सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है। सुबह शाम ताप का उतार चढ़ाव दमा एवं हृदय रोगियों के लिए भी नुकसान दायक हो सकता है इसलिए इस मौसम में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।

2.फ्लू और जुकाम

इस मौसम में फ्लू, जुकाम और सर्दी-खांसी की शिकायत भी बहुत होती है, जो जीवाणु एवं विषाणुओं के ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण के कारण होती है। इसके कारण वायरल फीवर से मिलते जुलते लक्षणों के साथ-साथ आंख-नाक से पानी आना, आंखों में जलन होती है। इससे बचाव के लिए इंफ्लुइंजिनम 200 पावर की दिन में तीन खुराक लेकर फ्लू एवं सर्दी जुकाम से बचा जा सकता है।
इसके उपचार में लक्षणों के आधार पर वायरल फीवर की दवाइयां ही फायदा करती हैं। इस मौसम में होने वाली खांसी में बेलाडोना, ब्रायोनिया, कास्टिकम, पल्सेटिला, जस्टीसिया, हिपर सल्फ आदि दवाइयां काफी फायदेमंद हैं। जब इस मौसम में खांसी का प्रकोप हो तो दवाइयों के साथ-साथ गुनगुने पानी से गरारा करना भी फायदेमंद होगा। ठंडी चीजों जैसे- आइसक्रीम, फ्रीज के ठंडे पानी, कोल्ड ड्रिंक से बचना चाहिए।

3.गले की खराश

सर्दी शुरू होने के साथ ही गले में खराश भी बहुत ज्यादा हो सकती है। इसके लिए बेलोडोना, फाइटोलक्का एवं कास्टिकम आदि दवाइयां लाभदायक हैं। ठंडी, तली-भुनी चीजों और ज्यादा तेज आवाज में बोलने से बचना चाहिए। इस मौसम में कमजोरी, थकान, हाथ-पैर में दर्द, आलस्य आदि की शिकायत भी रहती है। ऐसे में सुपाच्य भोजन लेना चाहिए और आराम करना चाहिए।
इस बदलते मौसम में सुबह-शाम घर से बाहर निकलते समय हल्के कपड़े न पहनें। बाइक पर चलते समय हेलमेट जरूर लगाएं, जिससे ठंडी हवा से बचाव हो सके। संभव हो तो गुनगुना पानी ही पिएं। इस मौसम में सावधानियों के बावजूद भी यदि आपकी सेहत नासाज हो जाए तो आराम करें। ध्यान रहे कि होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन केवल प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह से ही करें।

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