हार्ट प्रॉब्लम : सही समय पर उपचार से बच सकती है जान
ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम
हममें से ज्यादातर लोग हार्ट प्रॉब्लम का नाम सुनते ही घबरा जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हार्ट प्रॉब्लम का मतलब हार्ट अटैक ही समझते हैं। लेकिन दूसरी प्रॉब्लम डिटेक्ट होने पर हम निश्चिंत हो जाते हैं। हार्ट अटैक के अलावा भी कई ऐसी प्रॉब्लम्स होती हैं, जिनके लक्षणों को पहचान कर समय पर इलाज कराना जरूरी है। इन्हें इग्नोर करने पर परेशानी बढ़ सकती है। ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम या बीएचएस और स्ट्रेस के कारण होने वाली हार्ट मसल्स प्रॉब्लम (कार्डियोमायोपैथी) ऐसी ही प्रॉब्लम्स हैं, जिनके होने पर हार्ट अटैक होने की गलतफहमी हो जाती है। आमतौर पर इस तरह की स्थिति किसी प्रियजन की मृत्यु, डिवोर्स, नौकरी छूटने या किसी अचानक मिले भावनात्मक चोट के कारण पैदा होती है। बीएचएस में दिल का आकार कुछ देर के लिए बड़ा हो जाता है और ढंग से ब्लड को पंप नहीं कर पाता है। जबकि हार्ट की दूसरी एक्टिविटीज एकदम नॉर्मल रहती हैं। इस बीमारी के होने पर छाती में कड़ापन, भूख न लगना, नींद न आना, अकेलापन, निराशा और एकदम खालीपन महसूस करना, रह-रहकर रुलाई आना, नफरत का अहसास होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से दिखाना चाहिए। तुरंत ट्रीटमेंट होने पर एक सप्ताह के भीतर पेशेंट सामान्य स्थिति में लौट आता है। इस तरह की परेशानी होने पर पेशेंट को चाहिए कि वह बिना किसी डर के अपना ट्रीटमेंट कराए और अपनी जनरल एक्टिविटीज को बनाए रखे।