World Environment Day 2019 : विश्व पर्यावरण दिवस पर जानें प्रदूषण से बचने के आयुर्वेदिक उपाय
World Environment Day : 5 जून 2019 (5 June 2019) को हर साल की ही तरह साल 2019 में भी पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)मनाया जाएगा। हर साल पर्यावरण दिवस पर लोगों को बिगड़ते पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक किया जाता है। इस बार पर्यावरण दिवस की थीम - 'वायु प्रदूषण' रखी गई हैं। लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आगे चलकर इस वजह से गंभीर बीमारियां होने की संभावना भी बनी रहती है। ऐसे में आज हम आपको डॉ. कोमल मलिक आयुर्वेदाचार्य के अनुसार कुछ बातों और उपायों को अपनाया जाए तो प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।

World Environment Day 2019 : 5 जून 2019 (5 June 2019) को हर साल की ही तरह साल 2019 में भी पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)मनाया जाएगा। हर साल पर्यावरण दिवस पर लोगों को बिगड़ते पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक किया जाता है। इस बार पर्यावरण दिवस की थीम - 'वायु प्रदूषण' रखी गई हैं। वातावरण में फैला प्रदूषण, सांस के जरिए हमारी बॉडी में पहुंच कर फ्री-रेडिकल्स बनाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होते हैं।
इससे सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश या जलन, सिर दर्द, आंखों में जलन या खुजली, उल्टी, पेट दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। जो बाद में अस्थमा, फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित करने, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज, साइनोसाइटिस जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। लेकिन कुछ आयुर्वेदिक उपचार, उपायों पर अमल किया जाए तो प्रदूषण से होने वाली इन समस्याओं से बचाव संभव है।
इम्यूनिटी रखें मजबूत
प्रदूषण से बचने के लिए जरूरी है, मजबूत इम्यूनिटी। प्रदूषण के कारण बने फ्री-रेडिकल्स को रिमूव करने के लिए बॉडी का डिटॉक्सीफिकेशन होना जरूरी है। यह तभी होता है, जब डाइजेस्टिव सिस्टम अच्छी तरह काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक होगा तो शरीर में त्रिदोष-वात, पित्त और कफ कम होंगे।
पाचन प्रक्रिया सुचारू रूप से चलेगी और खांसी-जुकाम, सांस लेने में दिक्कत भी नहीं होगी। वातावरण में फैले प्रदूषण का सामना करने और इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए आयुर्वेद में अदरक, लहसुन, तुलसी, नीम, काली मिर्च, पिपली जैसे खाद्य का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
-रात को सोते समय त्रिफला लें। यह इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही डाइजेस्टिव सिस्टम को सुधारने में मदद करता है। एक चम्मच त्रिफला चूर्ण, एक चम्मच शहद या गुनगुने पानी या दूध के साथ ले सकती हैं। वैसे त्रिफला शहद के साथ लेना ज्यादा फायदेमंद होता है। अब बच्चों के लिए त्रिफला का सिरप भी आ गया है, बच्चों को सोते समय एक चम्मच त्रिफला सिरप दे सकती हैं।
-अदरक की चाय पीना फायदेमंद होता है। आधा चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच शहद मिलाकर लें। अदरक इम्यूनिटी को बढ़ाता है और सांस से जुड़ी समस्याओं में भी लाभदायक होता है।
- दिन में खाने के साथ 2-3 चम्मच देसी घी खाना फायदेमंद रहता है। घी बॉडी को डिटॉक्सीफाई करता है और बॉडी में मौजूद हैवी टॉक्सिंस मेटल्स को बॉडी से रिमूव करता है।
ब्रीदिंग प्रॉब्लम से बचाव
प्रदूषण के कारण ब्रीदिंग प्रॉब्लम सबसे ज्यादा फेस करनी पड़ती है। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक उपचार बहुत लाभदायक होते हैं।
- फेफड़ों को साफ करने में गुड़ बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद आयरन हमारी आर्टिरीज को भी क्लीन करता है, जिससे ब्लड में ऑक्सीजन की सप्लाई तेज होती है और श्वांस संबंधी दिक्कत कम होती है। रोजाना 5 ग्राम गुड़ का सेवन कर सकते हैं। इसे रात को गर्म दूध के साथ सोते समय ले सकती हैं या फिर दिन में कभी भी खा सकती हैं। चाहें तो गुड़ और तिल के लड्डू भी बना कर खा सकती हैं।
-गले में खराश महसूस हो रही हो तो अदरक का काढ़ा पिएं। एक गिलास पानी में छोटा-सा अदरक का टुकड़ा, 4-5 तुलसी की पत्तियां और 2-3 दाने काली मिर्च डालकर आधा रह जाने तक पानी उबालें। तैयार काढ़ा दिन में 2-3 बार थोड़ा-थोड़ा करके पिएं। गले की खराश कम होगी और श्वसन तंत्र का पैसेज क्लीन हो जाएगा। अगर बलगम की शिकायत है तो थोड़ा रॉक सॉल्ट मिला सकती हैं।
-पिसी काली मिर्च को शहद के साथ लेने से चेस्ट में जमा कफ दूर होता है। प्रदूषण के कारण सांस संबंधी समस्याओं से बचने में यह बेहद कारगर है।
-प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से बचने के लिए एक गिलास दूध में 3 ग्राम या आधा छोटा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं। चाहें तो एक चम्मच शहद में 3 ग्राम हल्दी मिलाकर भी ले सकती हैं।
- 10-15 बूंद तुलसी के रस को पानी में मिलाकर दिन में दो बार लें। यह सांस की नली और श्वसन तंत्र से प्रदूषक तत्व हटाने में सहायक है। तुलसी के 5-6 पत्तों को पीस लें। निचोड़ कर रस निकाल लें। इसमें शहद मिलाकर एक चम्मच ले सकती हैं।
- 3 ग्राम पीपली हर्ब को शहद के साथ मिलाकर 7 दिनों तक ले सकती हैं। यह फेफड़ों की सफाई करती है। लेकिन इसे बच्चों को नहीं देना चाहिए।
-श्वसन नली बंद है तो पिपरमिंट ऑयल की 2-3 बूंदें या यूकेलिप्टस ऑयल की 4-5 बूंदें पानी में डाल कर दिन में दो बार 5 मिनट के लिए स्टीम लेना फायदेमंद होता है।
- नोज पैसेज साफ रखने के लिए गाय के शुद्ध घी की एक-एक बूंद सुबह-शाम नोजट्रिल्स में डालने से सांस की नली साफ हो जाती है। जिससे सांस लेने में दिक्कत नहीं होती और प्रदूषक हानिकारक तत्व फेफड़ों तक नहीं पहुंचते।
इन्हें भी आजमाएं
-नीम की पत्तियों को एक पतीले पानी में उबाल लें। इस पानी को नहाने के पानी में मिलाकर नहाएं। यह स्किन पर जमे प्रदूषक तत्वों को हटाता है और स्किन को डिटॉक्सीफाई करता है। संभव हो तो हफ्ते में 2-3 नीम की पत्तियां खाएं। इससे ब्लड साफ होता है।
-रेग्युलर फुल बॉडी मसाज बॉडी के लिंफेटिक सिस्टम को हेल्दी बनाता है। गर्मियों में कोकोनट ऑयल से मसाज करना चाहिए। मसाज करने से ब्लड में जो भी टॉक्सिंस जमा होते हैं, वो बाहर निकलते हैं, ब्लड सर्कुलेशन इंप्रूव होता है, ऑक्सीजन की सप्लाई तेज होती है और बॉडी क्लीन होती है।
-प्रदूषण से बचने के लिए बाहर जाते समय मुंह पर अच्छे से कपड़ा बांध कर जाएं। इससे धूल-मिट्टी से 95 प्रतिशत बचाव हो जाता है। बेहतर होगा कि मास्क का प्रयोग करें।
इंडोर-आउटडोर प्लांट लगाएं
घर में तुलसी, मनी प्लांट, एलोवेरा, एरिका पाम, पाइन प्लांट, पीस लिली जैसे एयर प्यूरीफाई करने वाले पौधे लगाएं। ये पौधे हवा को फिल्टर कर साफ बनाने में मदद करते हैं और घर में शुद्ध हवा का अनुपात बढ़ाते हैं। घर के आस-पास नीम, पीपल जैसे पेड़ लगाने चाहिए।
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