कोशिकाओं में जेनेटिक बदलाव से होता है ब्लड कैंसर, ऐसे पहचान सकते हैं
राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) में 7 फरवरी से 9 फरवरी तक आरजीकॉन 2020 का आयोजन होगा। 119वीं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस हेमैटो-ओंकोलॉजी सेक्टर में हुए बदलावों पर होगी। जिसमें कैंसर के ऊपर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) में 7 फरवरी से आरजीकॉन 2020 होगी। आरजीकॉन 2020 हेमैटो-ओंकोलॉजी के क्षेत्र में हुई तरक्की पर केंद्रीत रहेगी। हेमैटो-ओंकोलॉजी में ल्युकेमिया, लिंफोमा, मायलोमा, एनीमिया, हीमोफीलिया, सिकल सेल डिजीज, थैलेसेमिया समेत अन्य अंगों के कैंसर के ऊपर विस्तार से बात की जाएगी।
आरजीकॉन 2020 के संचालक सचिव डॉ. दिनेश भूरानी ने कहा कि पिछले वर्षों में हेमैटो-ओंकोलॉजी के क्षेत्र में कुछ उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। ब्लड कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी से होता है, वहीं कुछ मामलों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। अब ब्लड कैंसर के इलाज के क्षेत्र में टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी तेजी से कीमोथेरेपी की जगह ले रहे हैं।
इम्यूनोथेरेपी के तहत शरीर की अपनी टी-कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं के खात्मे के लिए तैयार किया जाता है। भारत में कुल कैंसर में 20 प्रतिशत मामले ब्लड कैंसर के होते हैं। अलग-अलग उम्र में अलग-अलग तरह के ब्लड कैंसर होते हैं। बच्चों में ल्यूकेमिया होता है, जबकि बड़ी उम्र में मुख्यतः लिंफोमा और मायलोमा होता है।टट
ये हैं ब्लड कैंसर के लक्षण
ब्लड कैंसर के बारे में बताते हुए डॉ. भूरानी ने बताया कि आमतौर पर ब्लड कैंसर का कोई सीधा कारण नहीं हैं। कोशिकाओं में जेनेटिक बदलाव के कारण ब्लड कैंसर होता है और आमतौर पर ऐसी कोई वजह नहीं है, जिसका ध्यान रखते हुए इससे बचाव हो सके। ब्लड कैंसर के लक्षणों में बुखार और ल्यूकेमिया के मामले में नाक, मुंह आदि से खून आना और लिंफोमा के मामले में गले में गांठ आदि शुमार हैं।