गार्डनिंग टिप्स : ये है घर में ''कार्नेशन फ्लावर'' को लगाने का सही तरीका
आपको अपनी बगिया में तरह-तरह के सुंदर फूल लगाने का शौक है तो कार्नेशन को भी ट्राई कर सकती हैं। इससे बगिया की सुंदरता और भी बढ़ जाएगी। जानिए, कार्नेशन फ्लावर को लगाने का तरीका और देखभाल से जुड़ी बातें।

Gardening Tips
कार्नेशन फ्लावर बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाले फूलों में से एक है। इसकी व्यावसायिक खेती भारत में महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है। कार्नेशन फ्लावर दो टाइप के होते हैं- स्प्रे, स्टैंडर्ड। स्प्रे कार्नेशन में फूल गुच्छों में आते हैं और इनकी डंडियां छोटी होती हैं। स्टैंडर्ड कार्नेशन की किस्में पूरे साल फूल पैदा करती हैं।
इसे 'डिवाइन फ्लावर' के नाम से भी जाना जाता है। इसके फूलों को सुगंधित होने, अलग-अलग रंगों, कम वजन और अधिक दिनों तक तरो-ताजा बने रहने के कारण गुलदस्ता बनाने और घर की सजावट के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। ये गुलाबी, लाल, पीले, सफेद और दूसरे मिले-जुले रंगों के होते हैं।
उपयुक्त जलवायु
कार्नेशन के लिए ठंडा वातावरण और खुली धूप की जरूरत होती है। इसके पौधों की जड़ें मिट्टी में ज्यादा पानी जमा होने पर सड़ने लगती हैं। खेती के लिए न्यूनतम तापमान 5 से 10 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 30 से 35 सेल्सियस होता है।
अधिक तापमान वाली जगहों पर इसके फूल की डंडी और फूल का साइज भी छोटा हो जाता है। नमी बढ़ने पर पौधों पर फफूंदी लग जाती है। जाड़े के मौसम में इसे सूरज की ज्यादा रोशनी और गर्मी में कम तापमान की जरूरत होती है। इसे बीज और कलम के जरिए लगाया जाता है।
फूल की किस्में
स्टैंडर्ड कार्नेशन के फूल की किस्मों में रेड कलर में टांगा, टोरांडो, मास्टर, डेसियो, किलर। व्हाइट में बर्नहार्ड, रोमा, व्हाइट कैंडी। लाइट पिंक कैंडी, पिंक कोरसा। यलो में कैंडी, ऑरेंज में यूरोपा, मल्टीकलर्ड में सफारी, ट्रोपिका जेबरा प्रमुख हैं। वहीं स्प्रे टाइप कार्नेशन में व्हाइट हरमन, ओपल। रेड में इंटारोसो। पिंक में कार्टिना। आरेंज में टिपटिप टोटो। मल्टीकलर्ड में मारंगा, सेफोरा जैसे फूल होते हैं।
उपयुक्त मिट्टी
कार्नेशन के लिए बलुई-दोमद मिट्टी सबसे सही होती है। क्यारी बनाने से पहले दो से तीन बार मिट्टी की जुताई करनी चाहिए। मिट्टी की जुताई के बाद और क्यारियां बनाने से पहले उसमें खाद और उर्वरक मिला लेनी चाहिए। मिट्टी तैयार करने के बाद जड़दार कलमों को क्यारियों में रोपित करें। इन्हें नर्सरी से खरीदकर लगाया जा सकता है।
अगर इसे क्यारियों में लगाना है तो एक पौधे से दूसरी पौधे के बीच दूरी रखनी चाहिए और इसे कम से कम 2 सेंटीमीटर की गहराई तक रोपना चाहिए। पौधे रोपने के बाद जब तक यह पूरी तरह स्थापित नहीं हो जाते, तब तक हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। गर्मी के मौसम में पानी की जरूरत इन्हें ज्यादा होती है, बरसात और जाड़े में इसे कम पानी की जरूरत होती है।
खाद
पौधा रोपने के तीन सप्ताह बाद इसमें फास्फोरस और पोटाश घुलनशील उर्वरक के रूप में मिलाया जा सकता है, इसके अलावा पोटेशियम, नाइट्रेट, मैग्नीशियम, कैल्शियम नाइट्रेट, मैग्नीज, कॉपर भी डाला जा सकता है। रोपण के 20 से 25 दिन बाद इनकी पत्तियों की पिंचिंग की जाती है यानी 4 से 5 गांठे नीचे छोड़कर ऊपर के हिस्से को तोड़ा जाता है, जिससे एक पौधे पर 4 से 5 नए तने निकल आएं।
4 से 5 नए तने निकलने के बाद इसकी डबल पिंचिंग की जाती है, जिससे इनमें ज्यादा फूल आते हैं। कार्नेशन के पौधों में खरपतवार को समय-समय पर निकाल दें और इस दौरान इसकी गुड़ाई करें। कार्नेशन के पौधों पर लाल मकड़ी, एफिड और इसकी जड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली निमैटोड इसे प्रभावित कर सकते हैं।
इसलिए पौधा रोपने से पहले क्यारियों में नीम की खली के इस्तेमाल से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा इसकी पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से बचाव के लिए इनमें नमी की मात्रा को संतुलित रखना चाहिए और कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। कार्नेशन में फूल की उपज उसकी किस्म, पौधे को रोपने के तरीके, समय और पौधों की पिंचिंग पर निर्भर करती है।
इसके फूल को लंबाई के आधार पर इनकी डंडियों के वर्गों में विभाजित कर सकते हैं। इनकी लगभग 20 फूलों की डंडियों को मिलाकर एक गुच्छा बनाया जाता है और उनमें रबर बैंड लगाकर प्लास्टिक की शीट में लपेटकर नीचे के भाग को पानी में रखा जाता है, जिससे यह लंबे समय तक बाजार में भेजने के लिए ताजे रह सकें।
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