कल्पनाएं निखारें वास्तविक जिंदगी
कल्पना द्वारा हम मानसिक योजनाएं बना सकते हैं।

X
????? ?????Created On: 7 July 2016 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. कल्पनाएं हमें मानसिक रूप से सुकून देती हैं। हमारे भीतर की दबी इच्छाओं को हम कल्पना के द्वारा ही पूरी करने के लिए सोच सकते हैं। कल्पनाओं से हमें केवल क्षणिक खुशी ही नहीं मिलती है, हमारे जीवन के कई पहलू निखरते भी हैं।
कल्पना कीजिए कि आप एक बेहद खूबसूरत द्वीप पर रहते हैं और आप का एक बड़ा सा घर है। जिधर नजर जाती है आपको चारों ओर समुद्र का नीला जल ही दिखाई देता है। आप अपने घर से निकलकर एक बड़े से जहाज में बैठकर चल पड़ते हैं, दुनिया की सैर करने। यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया। क्यों है न, यह सुंदर कल्पना!
.jpg)
हम सभी जानते हैं कि कल्पना लोक सदैव आश्चर्यजनक और आनंदमय होता है और कल्पनाएं तो हम सभी करते ही हैं और करना भी चाहिए, क्योंकि कल्पना के माध्यम से ही हम स्वयं को जीवन के कटु सत्यों से कुछ पलों के लिए हटा सकते हैं।
मिलती है खुशी। कल्पनाओं में भी हमारी हैसियत दिखती है। हम कल्पनाएं भी अपनी हैसियत के अनुरूप और अपनी सभ्यता और संस्कृति के अनुसार करते हैं। एक पश्चिमी सभ्यता में पली किशोरी की कल्पना स्वयं को एक महंगी गाड़ी की मालकिन होना या फिर हॉलीवुड के सबसे नामी सितारे के साथ किसी समुद्र तट पर एक दिन गुजारने की हो सकती है, जबकि भारत में पली-बढ़ी किसी आदिवासी युवती को अगर एक अच्छी और आकर्षक नौका मिल जाए तो स्वयं को एक अच्छी बड़ी नौका का मालिक सोचकर ही खुश हो सकती है।
अच्छी, सुंदर कल्पनाएं हमें खुश करने के साथ-साथ यह याद दिलाती हैं कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में चाहे कितनी भी परेशानियां या समस्याएं हों, लेकिन फिर भी जीवन में संभावनाएं हैं। मनोवैज्ञानिक शोध के अनुसार अगर हम जीवन की सचाई का सामना करने की ही कोशिश करते रहे, तो जीवन काफी निराशापूर्ण हो सकता है। हममें से अधिकांश लोग वास्तविकता से अधिक कल्पना को महत्व देते हैं। शायद यह खुश रहने के लिए जरूरी भी है। दरअसल, कल्पनाओं की जमीन सीधी, सरल और सपाट होती है और हकीकत का सामना करना हम सबके लिए कठिन होता है।
दूर होता है तनाव
मानसिक और शारीरिक तनाव को दूर करने का एक उपाय कल्पना करना भी हैं। तनाव अधिक बढ़ जाने से जब शरीर और दिमाग पर दबाव अधिक बढ़ जाता है, तब कुछ क्षणों के लिए ही सही, किंतु कल्पना कर लेने से दिमागी उलझन दूर हो जाती है और तनाव से मुक्ति मिल जाती है। इस तरह हम अपनी समस्याओं के समाधान हेतु नई दृष्टि से देखते हैं और प्राय: समाधान पा लेने में सफल होते हैं।
बढ़ती है सकारात्मकता
प्रो. बायर्ड कहते हैं, ‘घबराएं नहीं विस्तार में जाए बिना (क्योंकि वह तो लेखक को पता ही है) आप किताब की आम तारीफ किए जाएं।’ प्रो. बायर्ड ने अपने करियर में पाया है कि साहित्य के विद्यार्थी आमतौर पर बिना पढ़ी किताबों के बारे में अपनी राय जाहिर करने में काफी माहिर होते हैं। इसमें वे पुस्तक के कवर से लेकर लेखक के बारे में गॉसिप और उससे भी बढ़कर ताजा विवाद को पढ़कर ऐसा कर लेते हैं।
सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और कल्पनाएंं सचमुच आनंदित करती हैं, जिससे हमारा आत्मविश्वास तथा आत्मनिष्ठा बढ़ती है। अगर यह कल्पना करें कि लोग आपको पसंद करते हैं और आपकी तारीफ करते है, तो निश्चित रूप से आप स्वयं के बारे में बेहतर अनुभव करेंगे और परिणामस्वरूप आपको दूसरों से वैसा ही व्यवहार मिलेगा, जैसा कि आप चाहते हैं।
.jpg)
अगर हमारी कल्पना नकारात्मक हो, तब भी हम उसे अपनी समस्याओं के हल हेतु सकारात्मक रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं। प्राय: किसी बातचीत के बाद हम सोचते हैं, ‘काश! मैंने यह कह दिया होता।’ या ‘काश! मैंने यह न बोला होता तो ज्यादा अच्छा रहता।’ देखा गया है कि ऐसा सोचने से हम उस कमी को पूरा करके स्वयं के बारे में बेहतर अनुभव करते हैं, क्योंकि ऐसा सोचने से कम से कम यह पता चल जाता है कि हमें किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए था। यह एक प्रकार से एक रिहर्सल होता है, जिससे अगली बार हम पुरानी गलतियां न दोहराएं। कल्पना द्वारा हम मानसिक योजनाएं बना सकते हैं। जैसे, आज सारा दिन हमें क्या करना है या छुट्टियों के दौरान हमें कहां घूमना है या क्या करना है? इससे मानसिक योजनाओं को वास्तविकता का रूप देने में कम समय और शक्ति खर्च होती है।
नकारात्मक कल्पना के फायदे
कल्पनाएं समस्यापूर्ण भी हो सकती हैं। ऐसा तब होता है जब हम किसी बात को लेकर बहुत परेशान होकर घबरा जाते हैं। कभी-कभी डरावनी फिल्मों के दृश्यों को देखकर हम भी स्वयं को उन्हीं परिस्थितियों में रखकर स्वयं को कष्ट देते हैं। प्राय: दुविधा या किसी अपराधबोध से ग्रस्त लोग नकारात्मक कल्पना करते हैं। पर कल्पना को इन बुरी परिस्थितियों में भी सहायक बनाया जा सकता है।
कल्पना द्वारा ही हम सबसे बुरी परिस्थिति का अनुमान लगा कर स्वयं को उससे निबटने के लिये मानसिक रूप से तैयार कर सकते हैं या उस स्थिति को टालने के विषय में सोच सकते हैं। दरअसल, कल्पना में अपनी सीमाएं निर्धारित करने से स्थिति को अधिक नियंत्रण में किया जा सकता है। परेशान या घबराए हुए लोग प्राय: नकारात्मक कल्पना ही करते हैं, लेकिन इससे लाभ यह होता है कि कम से कम वे यह सोच लेते हैं कि उन्हें विपरीत परिस्थितियों में क्या करना है।
खबरों की अपडेट पाने के लिए लाइक करें हमारे इस फेसबुक पेज को फेसबुक हरिभूमि, हमें फॉलोकरें ट्विटर और पिंटरेस्ट पर-
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App
Next Story