योगासन से दूर करें थनाटोफोबिया का डर
नाटोफोबिया मरीजों में पैनिक अटैक उत्पन्न कर सकता है।

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haribhoomi.comCreated On: 22 Aug 2015 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. स्वास्थ्य संबंधी फायदों के कारण लोकप्रिय हो रहा योग मौत के तीव्र भय (थनाटोफोबिया) को भी दूर करने में लाभदायक साबित हो सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि योग मनोरोगों तथा मौत के तीव्र भय (थनाटोफोबिया) को कम करने में सहायक है। मनोचिकित्सकों के अनुसार थनाटोफोबिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसके गंभीर स्थिति में व्यक्ति रोजर्मे के कामकाज को भी करने में लाचार हो सकता है।
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पैनिक अटैक की संभावना
थनाटोफोबिया मरीजों में पैनिक अटैक उत्पन्न कर सकता है। अतीत में घटी कोई दुखद घटना, जान बचाने के लिए हुई सर्जरी, मौत का बिल्कुल करीब से अनुभव अथवा गंभीर बीमारी के कारण थनाटोफोबिया की स्थिति पैदा हो सकती है। इस स्थिति का उम्र से कोई संबंध नहीं है। डॉ सुनील मित्तल बताते हैं कि ध्यान और योग के जरिए मौत के भय का इलाज किया जा सकता है।
योग में किसी दर्दनाक घटना या दुर्घटना के कारण होने वाले तनाव या सदमे से निपटने में शारीरिक और भावनात्मक रूप से मदद करने की क्षमता होती है। किसी भी दर्दनाक घटना का किसी व्यक्ति के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है और साथ ही साथ संवेदी और हार्मोनल प्रणाली पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। ऐसे कई लोग होते हैं जो अपने शरीर में सनसनी के साथ डर का अनुभव करते हैं, जो उन्हें खुद को सुरक्षित महसूस करने के लिए महत्वपूर्ण है। दर्दनाक घटना का प्रभाव दर्द व फ्लैशबैक आदि के रूप में होता है।
शांत प्रभाव
योग के दौरान जब व्यक्ति आसन बदलता है, सांस लेने वाले और गहरे रिलैक्सेशन वाले आसन करता है, तो उसके तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क पर शांत प्रभाव पड़ता है, जो उसे दर्दनाक घटनाओं से निपटने में मदद करता है।
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