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Independence Day 2022: मशहूर एक्ट्रेस दीप्ति नवल ने बताए स्वतंत्रता के असली मायने, कहा- महिलाओं को भी मिलनी चाहिए आजादी

मशहूर एक्ट्रेस दीप्ति नवल (Famous Actress Deepti Naval) ने कहा कि मेरे लिए आजादी (Indepndence Day 2022) का मतलब है, मन की आजादी।

Independence Day 2022: मशहूर एक्ट्रेस दीप्ति नवल ने बताए स्वतंत्रता के असली मायने, कहा- महिलाओं को भी मिलनी चाहिए आजादी
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मशहूर एक्ट्रेस दीप्ति नवल (Deepti Naval) ने कहा कि मेरे लिए आजादी का मतलब है, मन की आजादी। अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने की आजादी। मेरे पिताजी अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। मां भी टीचर थीं। मेरी दीदी मुझसे दो वर्ष बड़ी थीं। मेरे पिताजी ने हम दोनों बहनों को हर शनिवार-रविवार मॉर्निंग वॉक पर जाने की की आदत डलवाई। बस यहीं से हम प्रकृति के करीब आए और उससे आजादी (Independence Day 2022) के मायने समझे।

  • सही मायने में आज भी आजाद नहीं हैं महिलाएं: हमारे पापा-मम्मी हम दोनों बहनों को हॉलीडेज में कुल्लू-मनाली की बर्फीली वादियों में घुमाने ले जाया करते थे। मां किसी चट्टान पर बैठकर पेंटिंग करतीं। पापा हमारे साथ खेलते, गपशप करते। हमारी आपस में नेचर टॉक हुआ करती थी। यह सब कहने का मतलब है कि हम बेटियों को ऑलराउंडर बनाने में हमारे पापा- मम्मी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। हमें अपने जज्बात को व्यक्त करने की आजादी दी। लेकिन क्या 1952 (मेरे जन्म) के बाद और आगे चलकर महिलाएं खुले दिल से अपने मन की बात कहने की हिम्मत रखती थीं? बिल्कुल भी नहीं, यही आलम आज भी है। जो स्त्री खुले सोच-विचार वाली होती है, ऐसी स्त्री को बेशर्म समझा जाता है। सही मायने में आज भी महिलाएं आजाद नहीं हैं।
  • स्त्री मन की बातें खुलकर क्यों नहीं कह सकती: मैं प्रकृति की तरफ काफी पहले से आकर्षित हुई, इसका एक मुख्य कारण है कि प्रकृति आपको कभी सवालों के कठघरे में खड़ा नहीं करती। आपके मन की आजादी पर कोई पाबंदी प्रकृति की तरफ से नहीं होती। जो बात एक स्त्री को उचित न लगे, उसके उसूलों के खिलाफ हो तो क्यों नहीं वो अपने मन की बातें खुलकर कह सकती है? अपनी मर्जी के मुताबिक जीने का अधिकार क्या सिर्फ मर्दों को है? आजादी के कई दशक बाद जो बातें मेरे भीतर उथल-पुथल करती हैं, मैंने उसे प्रकृति के साथ साझा किया है। अनगिनत बार कुल्लू-मनाली, रोहतांग, नेपाल, हिमालय का हर कोना मैं अकेले घूमी हूं, सिर्फ और सिर्फ नेचर के साथ अपना क्वालिटी टाइम बिताया है।
  • स्त्री के सम्मान का मतलब: मेरे माता-पिता मेरे सर्वश्रेष्ठ गुरु, दोस्त, मार्गदर्शक सब कुछ रहे, लेकिन मुझे याद है कि जब मम्मी-पापा आपस में लड़ते थे, उनकी तेज आवाजों से मैं बहुत सहम जाती थी। उस नन्ही उम्र में भी यह सोचती कि मेरे पापा क्यों नहीं मां की भावनाओं का सम्मान करते हैं, जबकि दोनों पढ़े-लिखे थे? सम्मान करना यानी अपने घर-परिवार की स्त्री की बात को सुनना।
  • अपनी तरह के फ्री स्पिरिट किरदार निभाए: अभिनेत्री के रूप में मेरी कोशिश यही रही कि मैंने अपने करियर में उन्हीं सशक्त महिलाओं के किरदार निभाए, जिनका अपना एक वजूद था। इसीलिए मेरे किरदार भी आजाद थे, बिल्कुल मेरी तरह! फ्री स्पिरिट।

मन की बात : दीप्ति नवल, अभिनेत्री

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Harsha Singh

Harsha Singh

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है। कॉलेज के दौरान ही कुछ वेबसाइट्स के लिए फ्रीलांस कंटेंट राइटर के तौर पर काम किया। अब बीते करीब एक साल से हरिभूमि के साथ सफर जारी है। पढ़ना, लिखना और नई चीजे एक्स्प्लोर करना पसंद है।


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