हानिकारक है नींद के दौरान मद्धिम रोशनी भी, दूर रहें स्मार्टफोन या टैबलेट की रोशनी से
बेडरूम की मद्धिम रोशनी भी स्तन कैंसर की दवाओं का असर खत्म कर सकती है।

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haribhoomi.comCreated On: 1 Aug 2014 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. आपके बेडरूम की मद्धिम रोशनी भी स्तन कैंसर की दवाओं का असर खत्म कर सकती है। अमेरिका में एक चूहे पर किए गए परीक्षण के बाद पता चला है कि अगर स्ट्रीट लाइट जैसी कम रोशनी भी आपके बेडरूम में हो तो टैमोक्सिफेन दवा के लिए ट्यूमर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। यह अध्ययन टुलाने यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। इसमें स्मार्टफोन से लेकर टैबलेट की रोशनी और अन्य कृत्रिम रोशनियां भी शामिल की गई हैं। इस शोध के बारे में जानकारी एक कैंसर रिसर्च पत्रिका में छपी है।
गिर सकता है स्तर
असल में शोधकर्ता यह देखना चाहते थे कि शरीर के 24 घंटे के चक्र का टैमोक्सिफेन दवा के लिए बनने वाली प्रतिरोधक क्षमता पर क्या असर पड़ता है। उन्होंने अपना अध्ययन नींद को बढ़ाने वाले हॉर्मोन मेलेटोनिन पर केंद्रित किया। यह हॉर्मोन शाम से बनने लगता है और रात भर उसका स्तर बढ़ता ही जाता है। सुबह के समय फिर उसका स्तर गिरता जाता है। मगर इस बीच शाम की कृत्रिम रोशनी जैसे स्मार्टफोन या टैबलेट की रोशनी या बेडरूम की मद्धिम रोशनी से इस हॉर्मोन का स्तर गिर सकता है।
डॉक्टर स्टीवन हिल का इस विषय पर कहना है कि अगर आप सात घंटों तक सोते हैं मगर आईपैड या कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं या फिर टीवी देखते हैं तो मेलेटोनिन नहीं बन पाती हैं। कृत्रिम रोशनियों की वे नीली तरंगें मेलेटोनिन का बनना एक से डेढ़ घंटे तक रोक देती हैं। इसलिए आपको सात की जगह साढ़े पांच ही घंटों तक मेलेटोनिन मिलता है।
नीचे की स्लाइड्स में
पढ़िए, कृत्रिम रोशनियों का हॉर्मोन पर असर
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