शराब की लत छुड़ाने वाली दवा विकसित
कंपनी ने इस दवा का नाम सेलिन्क्रो रखा है।

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haribhoomi.comCreated On: 12 Sep 2016 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. डेनमार्क की फार्मासूटिकल कंपनी ने सेलिन्क्रो नाम से एक ऐसी दवी विकसित की है जो शराब की लत छुड़ने में कारगर है। ऐसे लोग जो शराब की लत से परे शान हैं और उसे छोड़ना चाहते हैं उनके लिए एक अच्छी खबर है। वैज्ञानिकों ने सेलिन्क्रो नाम की एक ऐसी दवा विकसित की है, जो आपके शराब पीने की लत को छुड़ाने में कारगर सिद्ध होगी। इस दवा की खासियत यह है कि इसे खाने के बाद जब आप शराब की ग्लास अपने होठो में लेंगे तो आपको लगने लगेगा कि आपने पहले ही बहुत पी रखी है और आपको और अधिक पीने का मन नहीं करेगा।
आपको बता दें, इस दवा को डेनमार्क की फार्मासूटिकल कंपनी ल्यूंडबेक ने विकसित किया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि यह दवा एक ओपियाइड रिसेप्टर एंटागोनिस्ट है, इसको खाने के बाद व्यक्ति के दिमाग में शराब को लेकर आनन्ददायक ख्याल नहीं आते और शराब के प्रति उसकी रुचि कम होने लगती है।
कंपनी ने इस दवा का नाम सेलिन्क्रो रखा है। क्लिनिकल ट्रायल के हर चरण को पूरा करने के बाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थकेयर एंड केयर एक्सिलेंस ने इस दवा पर अपनी मुहर लगा दी है। एनआईएचसीई द्वारा सेलिन्क्रो ड्रग को हरी झंडी दिखाने के बाद इसे पब्लिक यूज के इतेमाल में लाया जा सकता है।
फार्मासूटिकल कंपनी ल्यूंडबेक के शोधकर्ताओं ने एक चूहे को ऐल्कहॉल देने के बाद उसके ब्रेन की स्टडी की। इससे उन्हें दिमाग के उस हिस्से को समझने में मदद मिली जो इंसान को शराब पीने के लिए प्रेरित करता है। वैज्ञानिकों ने लैब में चूहे पर इस दवा का प्रयोग किया, ब्रेन के मैकनिज्म में बदलाव कर यह अहसास दिलाती है कि आप बहुत पी चुके हैं।
मांसपेशीय को करता है रेग्युलेट
रिसर्च टीम ने इंसान के सेरबेलम में एक मैकनिज्म की स्टडी की, जिसमें जीएबीएए रिसेप्टर्स नाम के प्रोटीन होते हैं। सेरबेलम दिमाग का वह हिस्सा है जो मांसपेशीय गतिविधियों को रेग्युलेट करता है। इंसान के दिमाग में सेरबेलम पीछले हिस्से में मौजूद होता है। यह नर्वस सिस्टम में इलेक्ट्रिकल सिगनल्स के लिए ट्रैफिक ऑफिसर की तरह काम करता है। फिर अपनी स्टडी में शोधकर्ताओं ने चूहे के सेरबेलम में थिप नाम का ड्रग इंजेक्ट किया। थिप जीएबीबीएए रिसेप्टर्स को ऐक्टिवेट करती है।
रिसर्च
इस दवा को चूहे में इंजेक्ट करने के बाद पाया गया कि चूहे ने कम एल्कहॉल कन्ज्यूम किया। चूहे पर इस दवा का परीक्षण सफल रहने के बाद वैज्ञानिकों ने इसे इंसान के इस्तेमाल में आने लायक बनाने के लिए कई और दौर का परीक्षण किया।
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