भारत के 50 करोड़ लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं, कहीं आप भी तो शामिल नहीं
भारत में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि के कारण 2050 तक करोड़ों लोगों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने का खतरा है क्योंकि एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि इस गैस के कारण चावल और गेहूं जैसी मुख्य फसलें कम पौष्टिक होती जा रही हैं।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 29 Aug 2018 12:34 PM GMT
भारत में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि के कारण 2050 तक करोड़ों लोगों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने का खतरा है क्योंकि एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि इस गैस के कारण चावल और गेहूं जैसी मुख्य फसलें कम पौष्टिक होती जा रही हैं।
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक भारत में 3.8 करोड़ लोगों में प्रोटीन की कमी हो सकती है और लौह तत्वों में कमी के कारण 50.2 करोड़ महिलाओं और बच्चों के इससे संबंधित बीमारियों के चपेट में आने का खतरा है।
अमेरिका के हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि मानव गतिविधियों से सीओ 2 के स्तर में हो रही वृद्धि से दुनिया भर में 17.5 करोड़ लोगों में जिंक की कमी और 12.2 करोड़ लोगों में प्रोटीन की कमी हो सकती है।
शोध कर्ताओं का कहना है कि दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के अन्य देशों पर भी इसका विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है।
एक अरब महिलाओं में आयरन की कमी
‘नेचर क्लाइमेट चेंज' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि एक अरब से अधिक महिलाओं और बच्चों के आहार में लौह-तत्व की उपलब्धता में भारी कमी हो सकती है।
इससे उनके अनीमिया और अन्य बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। भारत को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है और करीब पांच करोड़ लोगों में जिंक की कमी होने का अनुमान जताया गया है।
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