अगर आप चाहते हैं मधुर आवाज, तो करें ये 4 योगासन
एक अच्छी वॉइस सबकों अपनी ओर अट्रेक्ट करती है, आपकी पर्सनालिटी डवलप करती है।

वॉइस कम्यूनिकेशन का एक सबसे बेहतर साधन है। सॉफ्ट वॉइस सभी सुनना चाहते हैं। सामने वाले को इंप्रेस करने में आपकी वॉइस बहुत बड़ा योगदान निभाती है।
एक अच्छी वॉइस सबकों अपनी ओर अट्रेक्ट करती है, आपकी पर्सनालिटी डवलप करती है। इस वॉइस और सॉफ्टनेस से आपके कई काम आसान बन सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर खराब वॉइस से आपका कॉफिडेंट्स कम होने लगता है, और लोग आपसे दूर भगाने लगते हैं।
ऑपकी खराब वॉइस से अक्सर लोग परेशान होने भी लगते हैं या मजाक बनाने लगते हैं। और कई बार आपके पीठ पीछे भी आपकी नकल कर आपका मजाक बनाया जाता है।
लेकिन ऐसा नहीं कि आप इसे सुधार नहीं सकते हैं, योग की मदद से आप आसानी से अच्छी वॉइस पा सकतें हैं।
अगर आप की खराब वॉइस से परेशान हैं तो हमारे साथ वॉइस को मधुर बनाने वाले योगासन के बारे में जानें।
योग में वॉइस के लिए गले और ब्रिथिंग पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। योगासन आपके गले के चक्र को खोलता हैं और प्राणायाम से आपके वोकल कार्ड्स ठीक होते है।
1. उज्जायी प्राणायम
उज्जायी प्राणायाम करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है।
इसे करने पर थॉयराइड, श्वास नलिका, स्वरतंत्र आदि संतुलित रहते हैं और यह जल तत्व पर नियंत्रण लाता है। इसके निरंतर प्रयास से वाणी को मधुर बनाया जा सकता है।
उज्जायी प्राणायाम करने की विधि-
इस आसन को करने के लिए जमीन पर सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में सीधे बैठ जाएं।
फिर गहरी सांस लें और सांस लेते वक्त गले से आवाज निकालने की कोशिश करें।
अब सांस कुछ समय तक रोककर रखें।
शरीर पर बिना दबाव बनाएं सांस छोड़ दें।
सांस छोड़ते वक्त आप महसूस करेंगे कि हवा आपके पेट, पसलियों और गले से बाहर की ओर निकल रही है।
2. भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम तनाव को दूर करने में मदद करता है। इससे दिमाग को शांति और सुकून मिलता है।
इसके अलावा यह गले से सम्बंधित कई रोगों को दूर करने में मदद करता है। इसका अभ्यास करके आप अच्छी आवाज भी पा सकते है
भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि-
सबसे पहले साफ और समतल जगह पर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपनी दोनों आंखों को बंद और मन को शांत रखें।
अब मेरुदंड को बिलकुल सीधा और दोनों हाथों को बगल में अपने कंधो के समांतर फैलाएं।
अब अपने हाथों की कोहनियों से मोड़ते हुए हाथ को कानों के समीप लें जाएं। दोनों हाथों के अंगूठों से दोनों कानों को बंद कर लें।
इस प्राणायाम में नाक से सांस भरकर धीरे-धीरे गले से भ्रमर की गुंजन के साथ सांस को छोड़े। पहले नाक से सांस अंदर लें और फिर बाहर छोड़ें।
इस बात का ध्यान रखें कि सांस बाहर छोड़ते समय कंठ से भंवरें के समान आवाज करना हैं। इसके अभ्यास को 5 से 10 बार तक करें।
3. सिंहासन
सिंहासन में उच्चारण, सुर व मध्य पेट का अभ्यास होता है। साथ ही यह उच्चारण ग्रंथियों को मजबूत करके स्वर उच्चारण सुधारता है।
इसलिए गायकों और अच्छी आवाज की चाहत रखने वाले लोगों के लिए सिंहासन का अभ्यास बहुत अच्छा है।
जो लोग बोलने में बाधा अनुभव करते हैं उन्हें इस आसन का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है और यह नाक, कान, गले और मुख की समस्याओं वाले लोगों के लिए भी लाभदायक है।
सिंहासन करने विधि-
सिंहासन करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठें। फिर अपने घुटने के बीच कुछ दूरी रखकर और पंजों को नीचे की ओर मोड़ लें।
अब अपने हाथों को घुटनों पर रखें और बुझाओं को बिलकुल सीधा करें। अब गहरी सांस लेते हुए कंधों को थोड़ा-सा ऊपर उठाएं।
फिर हाथों की उंगुलियों को चौड़ी करके फैला लें और आंखों को चौड़ी करके ऊपर की ओर देखें।
जीभ को बाहर निकाल कर फैलाएं तथा ‘शेर की दहाड़’ की तरह आवाज निकालें।
4. मत्स्यासन
शरीर का आकार मछली जैसा बन जाने के कारण इसे मत्स्यासन कहा जाता है।
इसे करने से गला साफ रहता है, खांसी दूर होती है और गुर्दे के कार्यो को करके थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करता है।
मत्स्यासन करने की विधि-
मत्स्यासन का अभ्यास करने के लिए सर्वप्रथम पद्मासन में बैठ जाएं। अब पीछे की ओर झुकें और लेट जायें।
फिर अपने दोनों हाथो को एक दूसरे से बांधकर सिर के पीछे रखें।
और पीठ के हिस्से को ऊपर उठाकर गर्दन मोड़ते हुए सिर के उपरी हिस्से को जमीन पर टिकाएं।
अब अपने दोनों पैर के अंगूठे को हाथों से पकड़ें। ध्यान रहे कि कोहनियां जमीन से सटी हुई होनी चाहिए।
इस स्थिति में कम से कम 5 सेकंड तक रुके और फिर पूर्व अवस्था में वापस आ जाये। यह आसन करते समय सांसों की गति नियमित रखें।
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