आतंकियों पर लगाम लगाने के लिए सेना शुरू करेगी ''कासो''
सो का उपयोग कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में किया जाएगा जिनमें कुलगाम, पुलवामा, तराल, बडगाम और शोपियां शामिल हैं।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 12 May 2017 9:59 AM GMT
कश्मीर में लगातार हिंसा और आतंकवाद बढ़ता जा रहा है। घाटी में लगातार जवानों पर हमले हो रहे हैं जिसपर नियंत्रण पाने के लिए 'घेरा डालना और तलाशी अभियान' शुरू किया है जिसे कासो भी कहते हैं।
लगभग 15 साल बाद भारतीय सेना कासो का उपयोग करने जा रही है। 15 साल पहले इस कार्य प्रणाली को सेना ने त्याग दिया था। कासो का उपयोग कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में किया जाएगा जिनमें कुलगाम, पुलवामा, तराल, बडगाम और शोपियां शामिल हैं।
क्यों किया गया था कासो को बंद
स्थानीय जनता के सख्त विरोध के बाद सेना ने कासो को बंद कर दिया था। 2001 के बाद इसका प्रयोग केवल विशेष खुफिया सूचना मिलने पर ही किया जाता था। सुरक्षाबलों के मुताबिक ऐसे अभियानों के दौरान होने वाली मुश्किलों की वजह से सुरक्षा बल स्थानीय आबादी से अलग पड़ जाते है।
कासो शुरू करने की वजह
सेना के लेफ्टिनेंट उमर फयाज की शोपियां में हत्या होने के बाद कासो को शुरू करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा सुरक्षाबलों के ऊपर हो रहे हमले, आतंकवादियों द्वारा बेंक लूटना और बढ़ती हिंसा कासो को लागू करने की वजह है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की ओर से पिछले तीन महीने में आठ लोग मारे गए जबकि 17 अन्य घायल हुए।
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