शिमला में बंदरों का आतंक : सैलानी सरकार सब परेशान, 5 साल में 2813 को काटा
शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में दर्ज आंकड़ों के अनुसार 2015 में इन बंदरों ने 430 लोगों पर हमला करके उन्हें काटा था। 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 626 पहुंच गया। 2017 में 649 और बीते वर्ष ये आंकड़ा बढ़ते हुए 742 पर पहुंच गया। इस साल अब तक 366 मामले दर्ज किए गए हैं।

हिमाचल की राजधानी शिमला में इन दिनों बंदरों का जबरदस्त डर लोगों के दिलो दिमाग में बसा हुआ है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए ये सबसे बड़े चुनौती बने हुए हैं। हर कदम पर जमें छोटी पूंछ वाले ये बंदर किसी पर भी हमला करके उसका सामान छीन लेते हैं और ये सामान तभी वापस करते हैं जब इनकों कुछ खाने को मिले। बहरहाल इतना तो ठीक हैं।
पर जैसे ही इनको गुस्सा आता है ये हमला कर देते हैं। इनके हमलों के आंकड़े बेहद चौकाने वाले आए हैं। शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में दर्ज आंकड़ों के अनुसार 2015 में इन बंदरों ने 430 लोगों पर हमला करके उन्हें काटा था। 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 626 पहुंच गया। 2017 में 649 और बीते वर्ष ये आंकड़ा बढ़ते हुए 742 पर पहुंच गया। इस साल अब तक 366 मामले दर्ज किए गए हैं।
बंदरों के लगातार हमलों के बाद सरकार चिंतित हो गई। वन विभाग जब इन बंदरों से निपटने का कोई हल नहीं निकाल पाया तो इन्हें वर्मिन घोषित कर दिया। मतलब ये कि अब इन्हें मारा जा सकता है। 2018 में भी वन विभाग ने बंदरों को वर्मिन घोषित करके मारने का आदेश दिया था पर लोगों के विरोध के कारण एक भी बंदर मारे नहीं जा सके थे।
लेकिन इस साल बंदरों के बढ़ते हमलों के बाद इन्हें मारने के लिए केंद्र से मंजूरी मांगी। केंद्र ने शिमला नगर निगम क्षेत्र के अलावा प्रदेश की 38 और तहसीलों में बंदरों के मारने की इजाजत दे दी है। साथ ही अंतिम संस्कार भी किया जाएगा इसके लिए विभाग 500 रुपए देगा।
साथ ही शिमला में आने वाले सैलानियों को भी सचेत किया जा रहा कि वह अपने सामान को बंदरो की नजर से बचा कर रखे। बच्चों को अकेले कहीं न जाने दें। साथ महिलाओं को हिदायत दी गई है कि चश्मा व बैग संभाल कर रखे क्योंकि बंदरों की नजर इन चीजों पर सबसे ज्यादा होती है।
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