पत्रकार हत्याकांड में गुरमीत राम रहीम को उम्र कैद, ये है पूरा मामला
पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने करीब 16 वर्ष पहले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में गुरुवार को स्वयंभू संत गुरमीत राम रहीम सिंह और तीन अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई।

पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने करीब 16 वर्ष पहले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में गुरुवार को स्वयंभू संत गुरमीत राम रहीम सिंह और तीन अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई। विशेष जज जगदीप सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फैसला सुनाते हुए कहा कि उम्रकैद की सजा दुष्कर्म मामले में दी गई 20 साल की सजा पूरी होने के बाद शुरू होगी।
हत्या मामले में पिछले शुक्रवार को दोषी ठहराए गए डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख और तीन अन्य को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश किया गया। सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने कहा, सभी चारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के लिए चारों को 11 जनवरी को दोषी ठहराया था। चारों को भादंसं की धारा 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत दोषी पाया गया था।
Ram Rahim Ki Kahani : राम रहीम की कहानी, जानें काले कारनामों की लिस्ट
राम रहीम रोहतक के सुनारिया जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुआ जहां वह बलात्कार के एक मामले में 20 वर्ष कैद की सजा भुगत रहा है। तीन अन्य निर्मल सिंह, कुलदीप सिंह और कृष्ण लाल अंबाला जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। पत्रकार की हत्या हरियाणा के सिरसा में अक्टूबर 2002 में की गई थी।
छत्रपति के अखबार में एक अज्ञात पत्र के हवाले से डेरा मुख्यालय में राम रहीम द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न की खबर प्रकाशित की गई थी,जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। मामले में राम रहीम को मुख्य आरोपी बनाया गया था।
छत्रपति के परिवार ने 2003 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की मांग की थी। जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई, जिसने जुलाई 2007 में आरोपपत्र दायर किया था। राम रहीम को अगस्त 2017 में पंचकूला अदालत लाया गया था, जहां सीबीआई अदालत के न्यायाधीश ने बलात्कार मामले में उसे सजा सुनाई थी।
50-50 रुपए जुर्माना
पंचकुला की सीबीआई अदालत ने गुरमीत राम रहीम सहित चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा के साथ-साथ सभी दोषियों पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
क्या हैं आरोप
राम रहीम और उसके तीन साथियों पर आईपीसी की धारा 302 और आईपीसी की धारा 120बी के तहत दोषी करार दिया गया। कृष्ण लाल को 1959 आर्म्स एक्ट के सेक्शन 29 के तहत भी दोषी करार दिया गया। निर्मल सिंह को 1959 आर्म्स एक्ट के सेक्शन 25 के तहत भी दोषी करार दिया गया।
बेटे ने कहा- फैसले से संतुष्ट
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल ने कहा- अदालत का फैसला सत्य की जीत है। मैं आज राहत महसूस कर रहा हूं। हमने फांसी की सजा की मांग की थी, लेकिन अदालत के फैसले से हम संतुष्ट हैं।
पत्रकार ने किया था खुलासा
साध्वियों का यौन शोषण करने संबंधी चिट्ठी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के मर्डर का कारण बनी थी। छत्रपति ने अपने सांध्यकालीन समाचार पत्र पूरा सच में वह पत्र प्रकाशित किया था। अखबार में छपी इस खबर के प्रकाशित होने के बाद राम रहीम के लोग पत्रकार को धमकियां देने लगे थे। पत्रकार निर्भीक होकर राम रहीम के खिलाफ लिखते रहे।
बाइक पर आए और मार दी थी गोली
24 अक्टूबर 2002 को बाइक पर आए कुलदीप ने गोली मार दी थी। उसके साथ निर्मल भी था। जिस रिवॉल्वर से रामचंद्र पर गोलियां चलाई गईं, उसका लाइसेंस डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर किशन लाल के नाम पर था। कोर्ट ने राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का दोषी माना है।
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