हरियाणा को उड़ता पंजाब बनने से बचाएगी सरकार, राज्य स्तर पर होगा ये पहली बार
प्रदेश में नशे की चपेट में आ रही युवा पीढ़ी को राज्य सरकार बने बचाने का फैसला किया है। इसके लिए राज्य में पहली बार सर्वे कराया जाएगा।

'उड़ता पंजाब' की तर्ज पर प्रदेश के साथ-साथ रेवाड़ी में भी नशे में उड़ रही युवा पीढ़ी को को बचाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार को भी मालूम हो चला है कि प्रदेश में किशोर और युवा लगातार नशे की गर्त में जा रहे हैं। इससे हालत बेहद गंभीर हो गए हैं। किशोरों और युवाओं को नशे की गिरफ्त से निकालने के लिए प्रदेश सरकार नशे पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण की तर्ज पर राज्य सर्वेक्षण कराएगी। यह सर्वेक्षण मुख्यतया तीन बिंदुओं पर आधारित होगा जिसमें आपूर्ति कम करने, नशेड़ी युवाओं के प्रबंधन एवं पुनर्वास और मादक पदार्थों की खपत में कमी लाना शामिल है। एक केंद्रीय मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम बनाया जाएगा जिस पर पुलिस, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा शिक्षा विभाग नशे से संबंधित तमाम जानकारियां डालेंगे ताकि वास्तविक रणनीति तैयार कर इसे प्रभावशाली ढंग से लागू किया जा सके।
तीन दिन पहले ही मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने नशीले पदार्थों के अवैध उत्पादन की रोकथाम के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत करने के संबंध में बैठक आयोजित कर अफसरों को इस संबंध में निर्देश दिए थे। मादक पदार्थों के अवैध उत्पादन और सेवन से संबंधित राज्य सर्वेक्षण में नशे की समस्या एवं रोकथाम के लिए मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर युवाओं को नशे से बचाने के लिए एक मजबूत तंत्र तैयार किया जा सकेगा।
स्कूल व कॉलेज में होगी ट्रैनिंग
नशे से छुटकारा दिलाने के लिए अगले कुछ दिनों में बड़े स्तर पर सरकार की तरफ से अभियान चलने वाला है। पिछले दिनों हुई बैठक में भी छठी से स्नातक स्तर तक के विद्यार्थियों को जागरूक करने की वकालत की गई थी। इसी आधार पर अब सरकार ने स्कूल-कॉलेजों के लिए विशेष रणनीति बनाकर अध्यापकों की भी ट्रेनिंग कराने का निर्णय लिया है। गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
किशोरों में बढ़ रही नशे की लत
राष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक नशे का खतरनाक ट्रेंड बताता है कि किस तरह किशोरों में नशे की लत बढ़ रही है। खासकर इनमें इन्हेलेंट्स (सूंघने वाला नशा) का प्रयोग तेजी से बढ़ा है। अकेले हरियाणा में ही करीब एक लाख बच्चों को इन्हेलेंट्स संबंधी समस्या के लिए सहायता और इलाज की जरूरत बताई गई है। सेडटिव ड्रग्स और इन्हेलेंट्स लेने वाले अधिकतर बच्चे या तो बेघर हैं या गली-मोहल्लों में अधिक वक्त बिताते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में आबादी नशीली दवाइयों मसलन नींद की गोलियां, कोडीन सल्फेट युक्त सिरप जैसे सेडटिव ड्रग्स की आदी है।
रेवाड़ी में आधे पुरुष पीते हैं शराब
एक साल के जुटाए गए आंकड़ों पर नजर डाले तो रेवाड़ी में पुरुषों की आधी आबादी शराब का सेवन करती है। राष्ट्रीय स्तर पर नशे की लत से जूझ रहे लोगों के लिए इलाज की उचित और पर्याप्त सुविधाएं नहीं है। 38 में से सिर्फ एक व्यक्ति को किसी तरह का इलाज मिल पा रहा है। इसी तरह 180 व्यक्तियों में से सिर्फ एक को ही अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जा पा रहा है। ड्रग के शिकार 20 लोगों में से भी सिर्फ एक व्यक्ति को सही इलाज मिल पाता है।
'हरिभूमि' ने प्रकाशित की खबर
20 नवंबर को 'हरिभूमि' में 'उड़ता रेवाड़ी' नशे की गिरफ्त में आकर जुर्म की दलदल में फंस रहे युवा' समाचार प्रकाशित किया था। उसके बाद से ही जिला स्तर पर न केवल नशे को रोकने की दिशा में कदम उठाए गए, बल्कि प्रदेश सरकार तक भी इसकी रिपोर्ट भेजी गई। नशे के खिलाफ प्रदेश सरकार इस बार पहले से ज्यादा सख्त कदम उठा रही है। यहीं कारण है कि प्रदेश सरकार ने सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है।
बड़े स्तर पर नशे का कारोबार
रेवाड़ी में शराब का अवै धंधा सबसे बड़े स्तर पर चलता है, लेकिन दूसरी तरफ देखे तो अब शहर में गंभीर नशे की खेप भी पहुंचनी शुरू हो गई है। एक बड़ा गिरोह सुल्फा, अफीम, गंजा व स्मैक जैसा नशा युवा पीढ़ी को परोसने का काम कर रहे है। कई स्थानों पर आसानी से यह नशा उपलब्ध हो रहा है। इन नशों की चपेट में आकर सबसे ज्यादा कॉलेज व स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपना भविष्य खराब कर रहे है।
मकड़जाल में हाईप्रोफाइल घर के लड़के
पिछले कुछ माह के दौरान रेवाड़ी में एक ओर नशा तेजी से फैल रहा है। इस नशे का नाम एमडी कहा जाता है। बिल्कुल कोकीन की तरह दिखने वाला यह नशा एक छोटे से पैकेट में आता है। मात्र मिलीग्राम की कीमत की 5 हजार से ज्यादा है। सफेद रंग के इस नशे में आजकल कई हाईप्रोफाइल घर के लड़के फंसे हुए है। जो खुद तो सेवन कर रही रहे। साथ ही अपने साथियों को भी इसकी तरफ आर्किषत कर रहे है।
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Vipin Yadav
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज से स्नातक पूर्ण किया हूं। पढ़ाई के दौरान ही दैनिक जागरण प्रयागराज में बतौर रिपोर्टर दो माह के कार्य का अनुभव भी प्राप्त है। स्नातक पूर्ण होने के पश्चात् ही कैंपस प्लेसमेंट के द्वारा हरिभूमि में बतौर एक्सप्लेनर के रूप में कार्यरत हूँ। अध्ययन के साथ साथ ही कंटेंट राइटिंग में विशेष रुचि है।