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क्या हो सकते हैं हरियाणा सरकार के ''बेटी दिवस'' मनाने के मायने, जानिये यहां

सरकार ने फैसला किया है कि 1 नवंबर यानी हरियाणा दिवस को ''बेटी दिवस'' के रूप में मनाया जाएगा।

क्या हो सकते हैं हरियाणा सरकार के बेटी दिवस मनाने के मायने, जानिये यहां
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रोहतक. देश में लिंगानुपात की हालत काफी चिंताजनक है। हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहां इसकी हालत और भी खराब है। ऐसे में हरियाणा सरकार की 'बेटी दिवस' मनाने का फैसला स्वागत योग्य माना जा सकता है। सरकार ने फैसला किया है कि 1 नवंबर यानी हरियाणा दिवस को 'बेटी दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। यही नहीं स्थानीय निकाय चुनावों में वोटर की उंगली पर स्याही के बजाय 'बेटी बचाओ बेटी पढाओ' का स्टैम्प लगाया जाएगा।
बता दें कि केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना 'बेटी बचाओ बेटी पढाओ' को सबसे पहले हरियाणा में ही शुरू किया गया।
हरियाणा महिलाओं के खराब लिंगानुपात, भ्रूण हत्या, ऑनर किलिंग के लिए जाना जाता रहा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 1000 पुरुषों पर महिलाओं संख्या 940 है, वहीं हरियाणा में 879 है। ये काफी बड़ा फासला है। हालांकि हरियाणा में 2001 के मुकाबले स्थिति में सुधार हुआ है तब यह संख्या 861 थी।
हरियाणा सरकार के इस फैसले से लगता है कि वो वाकई महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए गंभीर है। लेकिन खराब हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस तरह की योजनाएं ही काफी नहीं हैं। हालांकि लोगों के दिमाग में कहीं न कहीं ये बात तो बैठेगी ही कि सरकार अगर बेटियों को इतना महत्व दे रही है वाकई में इनके भविष्य के प्रति सोचा जाना चाहिए।
लेकिन जरूरत है इसका सही तौर पर लागू कया जाए औपचारिकता की तरह नहीं। वरना तमाम योजनाओं की तरह यह भी 'ढाक के तीन पात' ही साबित होगी।
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