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कुमारी शैलजा: कांग्रेस का सबसे बड़ा दलित चेहरा, जिन्हें अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने साधे दो निशाने

विधानसभा चुनाव 2019(Haryana Vidhan Sabha Election) से पहले कुमारी शैलजा (Kumari Selja) को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस (Congress) ने बड़ा दांव खेला है। कांग्रेस ने इसके जरिए प्रदेश स्तर पर गुटबाजी को दूर करने की कोशिश की है। इसके अलावा दलित वोटरों को भी साधा है।

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Kumari Selja attacked BJP Manifesto for Haryana Assembly Election, declared it Bundle of Lies

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा हरियाणा में कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा हैं। जिन्हें अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने प्रदेश स्तर पर पार्टी में चल रही गुटबाजी को एक हद तक दूर कर दिया है। इसके अलावा दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। कुमारी शैलजा यूपीए की मनमोहन सरकार में सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री, पर्यटन मंत्री और गरीबी उन्मूलन मंत्री रही है। इसके अलावा उन्हें नरसिम्हा राव सरकार में शिक्षा राज्य मंत्रालय भी संभाला है।

कांग्रेस की अविवाहित महिला राजनीतिज्ञ कुमारी शैलजा का जन्म हिसार के प्रभुवाला गांव में 24 सितंबर 1962 को हुआ था। इनके पिता चौधरी दलबीर सिंह हरियाणा के दलित नेता थे। कुमारी शैलजा बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थीं। उनकी पढ़ाई नयी दिल्ली के जीसस ऐंड मेरी स्कूल में हुई। फिर उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से एमफिल की उपाधि प्राप्त की। कुमारी शैलजा की माता का नाम कलावती था जिनका मार्च 2012 में निधन हुआ। एक स्त्री होने के बावजूद उन्होंने अपनी मां को मुखाग्नि दी थी।

1990 में शुरु हुआ राजनीतिक सफर








कुमारी शैलजा ने 1990 में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनकर अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। दसवें लोकसभा चुनाव में वह पहली बार हरियाणा के सिरसा लोकसभा क्षेत्र से चुनी गयीं। नरसिंह राव की सरकार में उन्हें शिक्षा एवं संस्कृति मामलों की राज्यमंत्री बनाया गया। 1996 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बावजूद कुमारी शैलजा फिर से चुनी गयी। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने अंबाला लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और जीतने पर मनमोहन सरकार में शहरी विकास मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। इसके बाद 2009 में फिर जीतकर वह यूपीए सरकार में पर्यटन मंत्री बनीं।

दो बार कटारिया को दे चुकी हैं मात


पिछले लोकसभा चुनाव में कुमारी शैलजा राज्यसभा सांसद के तौर पर मनोनीत होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने राजकुमार वाल्मीकि को चुनाव मैदान में उतारा था। भाजपा नेता कटारिया ने राजकुमार वाल्मीकि को पिछले लोकसभा चुनाव में 3.40 लाख वोट के अंतर से हराया। इससे पहले कटारिया और शैलजा की टक्कर में दोनों बार जीत कुमारी शैलजा की हुई हैं।

राज्य में पार्टी को एकजुट करना बड़ी चुनौती



कांग्रेस पार्टी ने 2019 विधानसभा चुनाव से पहले कुमारी शैलजा को अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेला है। एक ओर जहां पार्टी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को किनारे करते हुए राज्य के कई बड़े नेताओं को शांत किया है तो दूसरी ओर शैलजा को अध्यक्ष बनाकर दलित वोट को आकर्षित करने की कोशिश की है।

इससे पहले लोकसभा चुनाव 2019 में प्रदेश की एक भी लोकसभा सीट न जीत पाने के कारण अशोक तंवर का खुला विरोध शुरू हो गया था। प्रदेश कांग्रेस में दो गुट बन गए, एक गुट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ चला गया तो दूसरा अशोक तंवर के साथ। कहा जाता है कि राहुल गांधी के खास होने के कारण तंवर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर बने रहे।

लेकिन जैसे ही सोनिया गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी संभाली उन्होंने अशोक तंवर को जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया। कुमारी शैलजा को प्रदेश की कमान मिली। अब उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाना है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या गुटबाजी का शिकार हुई कांग्रेस अब कुमारी शैलजा एक कर पाएंगी।

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