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INLD छोड़कर BJP में शामिल होने वाले राजबीर बराड़ा को मिली टिकट, समर्थकों ने बांटे लड्डू

भाजपा कार्यकर्ता (BJP Workers) व स्थानीय लोग हाथों में भाजपा (BJP) के झंडे उठाए राजबीर बराड़ा (Rajbir Barara) जिंदाबाद का नारा लगाते हुए राजबीर बराड़ा के निवास की ओर दौड़ पड़े। दोसड़का रोड़ स्थित मेजबान रेस्तरां व पैट्रोल पंप (Petrol Pump) पर सैंकड़ों की तादाद में उनके समर्थकों (Supporters) ने लडडू बांटकर खुशी का इजहार किया।

INLD छोड़कर BJP में शामिल होने वाले राजबीर बराड़ा को मिली टिकट, समर्थकों ने बांटे लड्डू
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Haryana Election: Rajbir Barara Got Ticket After Joining BJP, Supporters Distributed Sweets

सोशल मीडिया (Social Media) पर चल रही अटकलों के बीच आखिरकार सोमवार शाम को भाजपा (BJP) ने अपने 78 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी, जिसमें हलका मुलाना की टिकट राजबीर बराड़ा को मिली। जैसे ही लिस्ट में राजबीर बराड़ा (Rajbeer Barada) का नाम सामने आया तो बराड़ावासियों में खुशी की लहर दौड़ गई।

भाजपा कार्यकर्ता व स्थानीय लोग हाथों में भाजपा के झंडे उठाए राजबीर बराड़ा जिंदाबाद का नारा लगाते हुए राजबीर बराड़ा के निवास की ओर दौड़ पड़े। दोसड़का रोड़ स्थित मेजबान रेस्तरां व पैट्रोल पंप पर सैंकड़ों की तादाद में उनके समर्थकों ने लडडू बांटकर खुशी का इजहार किया।

संतोष सारवान, ज्ञानचंद अधोया भी थे दौड़ में शामिल

हालांकि मुलाना विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने के लिए मौजूदा हल्का विधायक संतोष चौहान सारवान सहित ज्ञानचंद अधोया दौड़ में शामिल थे। यहां यह भी उल्लेख करना होगा कि उपरोक्त तीनों दावेदार अन्य पार्टियों को छोड़कर भाजपा में आए थे।

इनके नामों के अलावा अरूण भान, राजेश बतौरा, मांगे राम पंजैल का नाम भी यदा-कदा चुनाव लड़ने को उठता रहा है लेकिन यह सब लोग जनता के बीच अपनी जगह नहीं बना पा रहे थे और न ही ये लोग हल्के में किसी गतिविधि में शामिल रहे।

बात दें कि हल्का विधायक संतोष चौहान सारवान अपने द्वारा हल्के में करवाए गए विकास कार्यों के दम पर चुनाव लड़ने का दम भरा था। तो वहीं दूसरी ओर राजबीर बराड़ा कुछ समय पहले ही इनेलो को छोड़कर भाजपा में आए थे। उनके भाजपा में आने के बाद से ही उनके भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे।

स्थानीय होने का मिला फायदा

राजबीर बराड़ा को यहां के लोग स्थानीय नेता मानते हैं। मिलनसार व मृदुभाषी प्रवृति की छवि के कारण स्थानीय लोग इन्हें अधिक पंसद करते है। राजबीर के पिता स्व. रिसाल सिंह इनेलो सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे। राजबीर खुद 2009 से 2014 तक इनेलो से विधायक रहे। वर्ष 2014 के चुनावों में राजबीर बराड़ा को हार का मुंह देखना पड़ा था। हालांकि विधायक रहते हुए राजबीर के समय में कोई विकास कार्य हल्के में नहीं हो पाए। ऐसे में राजबीर बराड़ा को स्थानीय लोग अपना विधायक मानते हुए पसंद करते है।

यही कारण है कि उनके पार्टी बदलने के बाद भी उनके समर्थकों में कोई कमी नहीं हुई। वहीं दूसरी ओर ज्ञानचंद अधोया भी स्थानीय उम्मीदवार है लेकिन उन्होंने राजनीति में हाथ आजमाने के लिए कांग्रेस, इनेलो, हजकां पार्टी में रहकर विस चुनाव लड़ने की इच्छा जताई लेकिन जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो 2009 में किसी भी पार्टी से टिकट न मिलने पर आजाद चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें मात्र 734 वोट ही पड़े। इसके बाद 2014 में भाजपा में शामिल होकर वह भाजपा की टिकट पाने के लिए हाथ-पैर मारते रहे लेकिन किस्मत ने उनका यहां भी साथ न दिया।

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