हरियाणा चुनाव : भाजपा से टिकट न मिलने पर कोई मंच पर फफक के रो पड़ा तो कोई हो गया बगावती
हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) के लिए भाजपा द्वारा की गई लिस्ट के बाद शुरू हुआ सियासी घमासन रुकने का नाम नहीं ले रहा। अबतक पार्टी के सात नेताओं ने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया। पूंडरी की एक सभा में तो रणधीर गोलन टिकट न मिलने को लेकर फूट-फूटकर रोने लगे। लोग समझाते रहे पर उनका रोना बंद नहीं हुआ।

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) के लिए भाजपा द्वारा की गई लिस्ट के बाद शुरू हुआ सियासी घमासन रुकने का नाम नहीं ले रहा। अबतक पार्टी के सात नेताओं ने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया। पूंडरी की एक सभा में तो रणधीर गोलन टिकट न मिलने को लेकर फूट-फूटकर रोने लगे। लोग समझाते रहे पर उनका रोना बंद नहीं हुआ।
गुहला सीट से लगातार चुनाव प्रचार कर रहे आरएसएस से जुड़े देवेंद्र हंस को भरोसा था कि पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाएगी पर ऐसा नहीं होने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया। वह अब अपनी ही पार्टी को चुनौती देते नजर आएंगे।
बवानीखेड़ा विधानसभा सीट से टिकट की चाह रखने वाले जगदीश मिताथल ने पार्टी छोड़ दी। इसले अलावा कालांवाली सीट से राजेंद्र देसूजोदा ने भी रोड़ी में अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ने का फैसला किया।
पिहोवा से संदीप ओंकार ने तो टिकट की घोषणा होते ही पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया। एनआईटी विधानसभा क्षेत्र से पिछले चुनाव में प्रत्याशी रहे यशवीर डागर ने भी अपने साथ करीब 500 से ज्यादा समर्थकों के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
पार्टी के ही वरिष्ठ नेता नयनपाल रावत को जब इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने महापंचायत बुलाकर सबके सामने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया। ताज्जुब इस बात का है कि पार्टी ने पिछले दो चुनाव में नयनपाल रावत को प्रत्याशी बनाया था।
न सिर्फ बड़े नेता बल्कि छोटे नेताओं में भी पार्टी का टिकट न मिलने के कारण नाराजगी जताई गई। रादौर सीट से टिकट न मिलने पर श्याम सिंह राणा ने तो सीएम का पुतला फूंका। समर्थकों ने नारेबाजी भी की। फिलहाल टिकट घोषणा के बाद ऐसा बवाल मचना कोई बड़ी बात नहीं है। हर चुनाव में ऐसा देखा गया है।
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