Haryana Assembly Elections : चुनावी मैदान से दीपेंद्र सिंह हुड्डा को दूर रख भूपेंद्र हुड्डा ने चौंकाया, ये है वजह
पूर्व मुख्यंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deepender Singh Hooda) को चुनावी मैदान (Haryana Assembly Elections) में न उतारने का निर्णय लेकर सबको चौंका दिया। जबकि दीपेंद्र सिंह हुड्डा 2019 विधान सभा चुनाव में उतरने का मन पहले से बना चुके थे।

हरियाणा का चुनावी मैदान सज चुका है। धीरे-धीरे सभी धुरंधर एक-एक करके मैदान में प्रचार के लिए उतर रहे हैं। ऐसे में ऐन वक्त पर पूर्व मुख्यंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को मैदान में न उतारने का निर्णय लेकर सबको चौंका दिया है। जबकि दीपेंद्र सिंह हुड्डा 2019 विधानसभा चुनाव में उतरने का मन पहले से बना चुके थे।
जानकारी के मुताबिक भूपेंद्र हुड्डा ने अपनी सीट गढ़ी सांपला में प्रचार की कमान संभालने के चलते दीपेंद्र को चुनाव से दूर रखा है। ताकि भूपेंद्र हुड्डा पूरे प्रदेश पर ध्यान दे सकें और दीपेंद्र गढ़ी सांपला में उनकी जीत सुनिश्चित कर सकें।
रोहतक में हार से लगा झटका
रोहतक से लगातार तीन बार सांसद रहने के बाद लोकसभा चुनाव 2019 में दीपेंद्र सिंह हुड्डा को पहली बार तब झटका लगा। जब मोदी की प्रचंड सुनामी में वह पहली बार रोहतक से चुनाव हार गए। जबकि मुख्यमंत्री रहते हुए हरियाणा के बजाय संसदीय क्षेत्र रोहतक के विकास पर अधिक ध्यान देने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आलोचना भी हो चुकी है। इससे पहले 2014 में दीपेंद्र हुड्डा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी ओपी धनखड़ को हराया था।
लोकसभा चुनाव हारना बना टर्निग प्वाइंट
भाजपा के नेता अरविंद शर्मा से हार के बाद कांग्रेस सहित हुड्डा समर्थक सकते में आ गए थे। इसके साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी इसी चुनाव में सोनीपत से हार का सामना करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक ने उन्हें हराया। जिसके बाद पहले दोनों पिता-पुत्र मैदान में उतरना चाहते थे। लेकिन ऐन वक्त पर पूर्व सीएम हुड्डा ने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को चुनाव प्रचार की कमान देते हुए खुद अपनी परंपरागत सीट गढ़ी सांपला किलोई से उतरने का निश्चय किया।
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