हरियाणा चुनाव : जाट बहुल सीटों पर भाजपा के ही जाट नेता नहीं बनना चाहते प्रत्याशी
जाट नेता प्रदेश की जाट व मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते, इसके पीछे का प्रमुख कारण यह है इस साल हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद प्रदेश की 11 जाट बहुल सीटों पर पार्टी पिछड़ गई थी।

Haryana Assembly Election - हरियाणा में चुनावी बिगुल बज चुका है। सियासी पार्टियां जनता को अपने पक्ष में करने के लिए जोर अजमाइस शुरू कर दी हैं। सत्ता के सिंहासन पर आसीन भाजपा ने दोबारा फतह हासिल करने के लिए जोरदार तरीके से तैयारी कर रही है।
प्रदेश में विखरे विपक्ष से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। पार्टी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रही है। लेकिन इसके बावजूद पार्टी के कई नेताओं में सीटों को लेकर पशोपेश की स्थिति बनी हुई है।
दरअसल पार्टी के ही जाट नेता प्रदेश की जाट व मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते, इसके पीछे का प्रमुख कारण यह है इस साल हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद प्रदेश की 11 जाट बहुल सीटों पर पार्टी पिछड़ गई थी।
पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती दलबदलु नेता भी हैं। जो टिकट वितरण के वक्त बड़ी दिक्कत पेश कर सकते हैं। माना जा रहा कि अपनों को नाराज करके पार्टी दूसरे दलों से आए नेताओं पर भरोसा जताएगी। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर पार्टी के भीतर नाराजगी होना स्वाभावि है।
चुनाव के 6 महीने पहले भाजपा ने प्रदेश में विधायकों के कामों को लेकर सर्वे करवाया जिसमें कई विधायकों से जनता नाराज है ऐसे में अनुमान है कि वर्तमान 47 विधायकों में करीब 20 विधायकों के पत्ते काट दिए जाएं।
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