हरियाणा चुनाव : घरौंडा का मतदाता हर बार बदलता है मिजाज, तीन बार प्रत्याशी 17 वोटों से भी कम अंतर से जीते
हरियाणा विधानसभा क्षेत्र की घरौंडा विधानसभा (Gharaunda Vidhan Sabha) के मतदाताओं को मिजाज हर बार बदला है। हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) के इतिहास में सिर्फ एक नेता ही दो बार विधायक बन पाया है। जबकि 11 बार मतदाताओं अलग-अलग नेता को विधानसभा भेजा है। इसमें भी तीन बार 17 से भी कम वोटों से प्रत्याशी जीते हैं।

करनाल का घरौंडा विधानसभा क्षेत्र रोचक चुनावी मुकाबलों के लिए जाना जाता है। यहां तीन बार 17 वोटों से नीचे हार जीत का फैसला हुआ। 1968 में 12 वोटों से भारतीय जन संघ को जीत मिली। 1996 में 11 वोटों से पहली बार भाजपा जीती। 2005 में 16 वोटों से इनेलो के प्रत्याशी ने जीत हासिल की। खास बात यह रही कि 1996 में 11 वोटों से भाजपा को जीत दिलाने वाले रमेश कश्यप को समता पार्टी के रमेश राणा ने कोर्ट में चुनौती दी थी कि जब तक उनके पक्ष में फैसला आया तब तक रमेश कश्यप का कार्यकाल पूरा हो चुका था।
इनेलो के नाम सबसे ज्यादा जीत का रिकार्ड
इनेलो के नाम घरौंडा सीट पर सबसे ज्यादा मतों से जीत का रिकार्ड है। सन् 2000 में हुए चुनावों में रमेश राणा 23 हजार 770 मतों से जीत हासिल की थी। उसके बाद हरविंद्र कल्याण ने 17 हजार 800 वोटों से जीते। वहीं घरौंडा की जनता ने हर बार अपना मिजाज बदला है। केवल 2000 से लेकर 2009 तक इनेलो को यहां से हैट्रिक बनाने का मौका मिला। इस हैट्रिक के दौरान सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले पूर्व विधायक रमेश राणा की पत्नी रेखा राणा केवल 16 वोटों से ही जीत पाई थी। इस कड़े मुकाबले में लोगों का मिजाज कुछ अलग ही नजर आया था।
मनोहर सरकार से ये मिला
प्रदेश की मनोहर सरकार में घरौंडा को करोड़ों रुपये की सौगातें दी हैं। कुटेल में मेडिकल यूनिवर्सिटी अब तक की सबसे बड़ी सौगात है। इसी कड़ी में बस अड्डा, रेलवे ओवर-अंडरब्रिज, बाईपास, उप मंडल का दर्जा, आईटीआई, एनसीसी अकेडमी, कॉलेज आदि बड़ी सौगातें मनोहर सरकार में मिली है। इनमें कई मांगे ऐसी है जो दशकों से लंबित थी और कोई भी सरकार इन्हें पूरा नहीं करा पाई। इसके अलावा अवैध कॉलोनियों का नियमित होना, सड़कों का चौड़ीकरण, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और चार प्राइमरी हेल्थ सैंटर भी घरौंडा वासियों को मिला है। घरौंडा के विधायक हरविंद्र कल्याण का कहना है कि प्रदेश की मनोहर सरकार ने यहां ताबड़तोड़ विकास कार्य कराए हैं। जितने भी चुनावी वादे किए गए थे वह सभी पूरे किए गए है। अब अगले एजेंडे में पर्यावरण, जल संरक्षण, शिक्षा व स्वास्थ्य पर फोकस रहेगा।
घरौंडा का इतिहास
ग्रैंड ट्रंक रोड स्थित घरौंडा में कई ऐतिहासिक स्मारक और स्थान हैं। घरौंडा मुगल सराय गेटवे मुगल सराय सराय विश्राम गृह का निर्माण 1637 ई में मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल के दौरान हुआ था। जिसके सभी पक्षों पर कोशिकाओं के साथ आकार में चतुष्कोणीय है। मौजूदा प्रवेश द्वार उत्तरी और दक्षिणी दीवारों का हिस्सा हैं और इन दोनों में तीन कहानियां हैं। ये लखुर ईंटों से बने हैं। इसे पैनलों, बालकनियों, गोल टावरों और कोणीय बांसुरी से सजाया गया है।
1967 | एम. चंद | कांग्रेस |
1968 | रणधीर सिंह | जन संघ |
1972 | रूलिया राम | ने.कांफ्रेंस |
1977, 1991 | रामपाल | जनता पार्टी, कांग्रेस |
1982 | वेदपाल | कांग्रेस |
1987 | पीरू राम | लोकदल |
1996 | रमेश कश्यप | भाजपा |
2000 | रमेश राणा | इनेलो |
2005 | रेखा राणा | इनेलो |
2009 | नरेंद्र सांगवान | इनेलो
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2.13 लाख मतदाता चुनेंगे विधायक
घरौंडा के इस बार 2.13 लाख मतदाता अगले विधायक का चुनाव करेंगे। इनमें पुरुष मतदाता की संख्या 1 लाख 14 हजार 100 है। 99 हजार 25 महिला मतदाता है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि घरौंडा की जनता किस नेता को कितने मतों से जीताती है।
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