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Haryana Assembly Election: 7 लाख 75 हजार 591 मतदाता चुनेंगे 4 विधायक, प्लास्टिक की प्रचार सामग्री लगाई तो कटेगा चालान

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 100 मतदान केंद्र संवेदनशील व अति संवेदनशील घोषित किया गया है। पिछली बार की अपेक्षा 73 हजार 810 मतदाता की संख्या बढ़ी है। 2014 में 5 लाख 17 हजार 334 ने लोगों ने मतदान किया था।

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लोकतंत्र (Democracy) का सबसे बड़ा पर्व शुरू हो चुका है। चुनाव आचार संहिता (Election Code Of Conduct) लग चुकी है और इस बार सबसे हॉट सीट में शुमार रोहतक (Rohtak) की जनता भी अपने विधायक चुनने के लिए तैयार है। 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 को नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे।

इस बार रोहतक में कुल 7 लाख 75 हजार 591 मतदाता अपने वोट का प्रयोग करेंगे। 2014 के मुकाबले 73 हजार 810 मतदाता बढे़ हैं। पिछले चुनाव में 701781 मतदाता थे और 5 लाख 17 हजार 334 ने मतदान किया था। जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों रोहतक, महम, गढ़ी-सांपला-किलोई और कलानौर में 411 लोकेशन पर 804 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

पिछली घटनाओं के आधार पर करीब 100 मतदान केंद्र संवेदनशील व अति संवेदनशील घोषित किया गया है। 6 मतदान केंद्र विशेष रूप से महिलाओं के लिए। इन मतदान केंद्रों पर केवल महिला स्टाफ की ही तैनाती की जाएगी। दिव्यांग मतदाताओं को घर से मतदान केंद्र तक ले जाने के लिए व्यवस्था की जाएगी।

चुनाव आयोग के निर्देश हैं कि इस बार चुनाव में इको फ्रेंडली प्रचार सामग्री का प्रयोग किया जाए। अगर कोई उम्मीदवार प्लास्टिक की प्रचार सामग्री का इस्तेमाल करता है तो उसका चालान काटा जाए और कार्रवाई की जाए। उपायुक्त ने कहा कि प्रचार सामग्री व नुक्कड़ सभाओं के लिए स्थान निर्धारित किए गए हैं। कोई उम्मीदवार या पार्टी निर्धारित स्थानों के अलावा किसी सरकारी भवन पर प्रचार सामग्री लगाता है तो मामला दर्ज किया जाएगा।

तीन दिन में करनी होगी पहचान

वहीं इस बार ऐसे मतदाताओं व क्षेत्र की पहचान करने के निर्देश दिए हैं जिन पर आसानी से दबाव बनाया जा सकता है। 3 दिन के अंदर वलनेरबल मैपिंग यानी ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जानी है, जहां मतदाताओं को प्रलोभन या उन्हें डरा धमका कर प्रभावित किया जा सके।

खंभों पर प्रचार सामग्री नहीं लगा सकते

बिजली निगम के खंभों व ट्रांसफार्मर आदि पर प्रचार सामग्री लगाई जाती है तो तुरंत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसके साथ ही मतदान केंद्र परिसर में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध रहेगा। चुनाव के दौरान अधिकारी मौके का जज है और स्थिति को समझ कर निर्णय लेने का अधिकार है। अगर किसी अधिकारी को निर्णय लेने में कोई परेशानी होती है तो वह अपने रिटनिंर्ग अधिकारी, डीएसपी अथवा जिला निर्वाचन अधिकारी से इस संबंध में विचार कर सकता है।

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