हरियाणा के 300 गांवों में सदियों से नहीं मनी दिवाली, इस बार भी रहेंगे हमेशा की तरह बे चिराग
राजस्व विभाग का रिकॉर्ड इस बात का ग्वाह है कि जिन गांवों को अब बेचिराग गांव कहा जाता है, वे जमीन में दफन हो चुके हैं।

X
haribhoomi.comCreated On: 22 Oct 2014 12:00 AM GMT
रोहतक. दीपावली (23 अक्टूबर) पर्व पर बृहस्पतिवार को जहां पूरा देश दीये जलाकर त्योहार मनाएगा, वही हरियाणा के 300 से अधिक गांवों में कोई दीप जलाने वाला नहीं होगा। इन गांवों की जमीनी पर पसरा अमावस्या की रात का गहन अंधेरा दीपावली पर भी ऐसे ही रहेगा। इन गांवों को राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक बेचिराग गांव कहा जाता है। मुगलकाल व अंग्रेजी शासनकाल में बसे इन गांवों का सरकारी दस्तावेजों में बस नाम ही शेष बचा है। यह सारे के सारे गांव सदियों पहले जमींदोज हो चुके हैं, लेकिन इन गांवों की जमीन व सीमाएं अंकित हैं। राजस्व विभाग की जुबान पर इन गांवों का नाम यदा कदा ही उस समय आता है, जब प्रदेश में कोई जमीनी कार्य होता है।
RTI से मिली जानकारी-
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक गुड़गांव जिले में 65 सबसे अधिक बेचिराग गांव हैं। इसके बाद अंबाला में 46, यमुनानगर में 32, कुरुक्षेत्र में 8, कैथल में 5, रोहतक में 25, सोनीपत में 16, करनाल में 20, पानीपत में 18,भिवानी में 5, हिसार में 9, जींद में 6, सिरसा में 7, महेंद्रगढ़ में 13, रेवाड़ी में 25, फरीदाबाद में 30 गांव बेचिराग हैं।
इतिहास के पन्नों को पलटते हैं तो पता चलता है कि सैकड़ों साल पहले मुगलशासन व अंग्रेजी हुकूमत में इन गांवों में लोग रहते थे और दीपावली समेत सभी त्योहार मनाए जाते थे। राजस्व विभाग का रिकॉर्ड इस बात का ग्वाह है कि जिन गांवों को अब बेचिराग गांव कहा जाता है, वे जमीन में दफन हो चुके हैं। चाहे इसका कारण कोई भी क्यों न रहा हो। हमलावरों ने इन गांवों को नष्ट कर दिया हो, यह भी एक कारण हो सकता है। इन गांवों के लोग हमले के बाद कहीं दूसरी जगह जाकर बस गए हों।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, इस मामले में क्या कहते हैं राजस्व अधिकारी-
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App
Next Story