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छात्राओं के हॉस्टलों पर मंडराए ड्रोन, अब रेडियो फ्रिक्वेंसी कार्ड के जरिए होगा छात्रावास में प्रवेश

रोहतक (Rohtak) स्थित महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (Mdu) में छात्राओं के हॉस्टल के ऊपर ड्रोन उड़ाए गए। उसके बाद से यूनिवर्सिटी (University) सुरक्षा को लेकर विवादों में है। यूनिवर्सिटी की तरफ से अब कड़े कदम इसे रोकने के लिए उठाए जा रहे हैं।

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एमडीयू रोहतक (फाइल फोटो)

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) परिसर स्थित छात्रावासों (Girls Hostel_ पर ड्रोन मंडराने के बाद सुरक्षा मजबूत की जाएगी। छात्राएं को विश्वविद्यालय की तरफ से रेडियाे फ्रीक्वेंसी (आरएफ) पहचान पत्र दिए जाएंगे। छात्रावास के अंदर और बाहर तभी छात्राएं जा पाएंगी जब उनके पास यह कार्ड होगा।

छात्राओं को रेडियाे फ्रीक्वेंसी पहचान पत्र जारी करने के लिए तीन हजार पहचान पत्र खरीदे जा चुके हैं। इसके बाद हॉस्टल प्रबंधन से सभी छात्राओं का डाटा मंगवाया है। एक सप्ताह में छात्राओं को पहचान पत्र जारी कर दिए जाएंगे। यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह ने कहा कि छात्राओं की सुरक्षा में विश्वविद्यालय किसी भी तरह का जोखिम नहीं ले सकता है। इसलिए बेटियों को अगले एक सप्ताह में रेडियाे फ्रीक्वेंसी पहचान पत्र जारी करव दिए जाएंगे। आरएफ पहचान पत्र के बिना हॉस्टल के मुख्य गेट पर इंट्री नहीं हो पाएगी।

इलेक्ट्रॉनिक मशीनें लगायीं

कस्तूरबां गांधी हॉस्टल परिसर के मुख्य गेट पर नए पहचान पत्रों के लिए मशीनें लगा दी गई हैं। जल्द ही इनके जरिए प्रवेश शुरू हो जाएगा। तब तक सुरक्षा कर्मियों को सुरक्षा को लेकर विशेष हिदायतें दी गई हैं। बाहरी लड़कियों के प्रवेश पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। सिक्योरिटी को लेकर भविष्य में और कड़े इंतजाम किए जाएंगे। सुरक्षा सिस्टम के छात्रा की बॉयोमीट्रिक पहचान करने के बाद ही प्रवेश होगा।

निजता का रखा जाएगा पूरा ध्यान

रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान पत्र से विश्वविद्यालय प्रशासन छात्राओं की व्यक्तिगत गतिविधियों पर बिल्कुल भी नजर नहीं रखेगा। सिस्टम लागू करने वाले विशेषज्ञों से स्पष्ट कहा गया है कि पहचान पत्र का उद्देश्य केवल छात्रा की पहचान साबित करना है।

अंतिम बार 26 को दिखे ड्रोन

बेटियों ने पहली बार किस दिन हॉस्टल परिसर की छतों पर ड्रोन मंडराते देखा इस बारे में आठ सदस्यीय कमेटी जांच कर रही है। लेकिन चौकाने वाली जानकारी यह है कि गत 26 अगस्त के बाद किसी भी रात में छात्राओं ने ड्रोन नहीं देखा है। जिससे विश्वविद्यालय को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि मामला राष्ट्रीय स्तर की सुर्खियों में शामिल हाे चुका था।


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