फरीदाबादः लोन नहीं चुकाया तो बैंक ने युवक को घर में ही कर दिया सील
फरीदाबाद की डबुआ कॉलोनी में रहने वाले एक युवक को बैंककर्मियों ने उसके ही घर के अंदर सील कर लिया क्योंकि कथित तौर पर उसने बैंक का करीब 35 लाख का कर्ज नहीं चुकाया। यह मामला तब सामने आया जब बैंककर्मियों द्वारा घर के घर के मैन गेट पर लगी सील को खोला गया। हालांकि बैंक का कहना है कि जब घर का दरवाजा सील किया गया था तब घर के अंदर कोई नहीं था।

फरीदाबाद की डबुआ कॉलोनी में रहने वाले एक युवक को बैंककर्मियों ने उसके ही घर के अंदर सील कर लिया क्योंकि कथित तौर पर उसने बैंक का करीब 35 लाख का कर्ज नहीं चुकाया। यह मामला तब सामने आया जब बैंककर्मियों द्वारा घर के घर के मैन गेट पर लगी सील को खोला गया। हालांकि बैंक का कहना है कि जब घर का दरवाजा सील किया गया था तब घर के अंदर कोई नहीं था।
खबरों के मुताबिक डबुआ कॉलोनी में रहने वाले कैलाश मूलरूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं। बीते 35 सालों से वह अपने परिवार के साथ यहां रह रहे हैं। वह चौक पर चाय की दुकान चलाते हैं। मंगलवार को उनका बेटा नरेश घर के अंदर सो रहा था। तभी वहां ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के बैंककर्मी पहुंच गए और घर के दरवाजे को बाहर से सील कर दिया।
नरेश चंद का कहना है कि बैंक कर्मियों ने उसके बार-बार मना करने के बावजूद उसे घर के अंदर सील कर दिया था। वह मंगलवार से ही घर के अंदर बंद है। वहीं नरेश के पिता कैलाश का कहना है कि किसी गगन वाधवा और दीपा वाधवा ने उनके घर के फर्जी कागजात तैयार कर लोन ले लिया। जबकि उन्होंने कभी भी बैंक से कोई लोन नहीं लिया था।
कैलाश का कहना है कि करीब छह वर्ष पहले उन्हें बड़ी बेटी की शादी के लिए ऋण की जरूरत थी। उन्होंने अपने परिचित अशोक के जरिए बैंक से ऋण दिलाने में मदद मांगी। मगर, अशोक उसे अदालत ले गया। वहां उससे कागजातों पर हस्ताक्षर करवा लिए। मगर, उसे ऋण नहीं मिला। उन्हें काफी समय से बैंक की ओर ऋण चुकता करने के नोटिस मिल रहे थे।
उन्होंने बताया कि नौ जुलाई को भी उनके घर पर नोटिस लगाया गया था। एक सप्ताह पहले बैंककर्मी उनके घर के कमरों को सील कर गए थे। वे घर के बरामदे में रह रहे थे। मंगलवार को घर के प्रवेशद्वार को भी सील कर दिया गया। हालांकि वह स्थानीय अदालत में बैंक से केस हार चुके हैं। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में उनका मामला विचाराधीन है।
बैंक की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक यह घर कैलाश के पिता देवीदत्त के नाम पर था। आरोप है कि उनकी मौत के बाद 17 दिसंबर सन् 2012 को कैलाश ने देवीदत्त बनकर 100 गज का यह घर डबुआ कॉलोनी निवासी अशरफी देवी को बेच दिया था। घर का मीटर कनेक्शन भी अशरफी देवी के नाम पर है।
अशरफी देवी ने 25 जून सन् 2014 को यह घर किसी दीपा वाधवा को बेच दिया। दीपा वाधवा ने घर खरीदने के लिए बैंक से ऋण लिया था। कैलाश का इस घर पर कोई हक नहीं है। वह अदालत में भी केस हार चुका है। यह सारा मामला पूरी तरह से धोखाधड़ी का है।
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