जाट बोले, पानीपत फिल्म का प्रसारण बंद हो नहीं तो होगा आंदोलन
जाटों का आरोप है कि फिल्म निर्माता द्वारा महाराजा सूरजमल को लालची शासक के रूप में दिखाकर समाज का अपमान किया गया है। इसलिए इस फिल्म का विरोध किया जा रहा।

पानीपत फिल्म में महाराजा भरतपुर के गलत चिरण से जाटों की नाराजगी दिन प्रति दिन बढती जा रही है। जाटों ने सरकार से फिल्म का प्रसारण बंद करने की मांग की है। वहीं जाट सभा के तत्वावधान में जाट समाज के लोगों ने मंगलवार को छोटू राम किसान भवन गांव इसराना में पानीपत फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर फिल्म निर्माता पर केस दर्ज करने व फिल्म का प्रसारण बंद करने की मांग की।
जाटों से फिल्म नहीं देखने का आह्वान
जजपा व जाट समाज के वरिष्ठ नेता नेता रविंद्र मिना व अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय सचिव प्रताप दहिया ने कहा कि आशुतोष गोवारीकर की फिल्म पानीपत में महाराजा सूरजमल के बारे में गलत तथ्य दिखाकर उनके उच्च चरित्र व सम्मान को नीचा दिखाने के लिए तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर दर्शाया गया है।
फिल्म निर्माता व निर्देशक द्वारा ऐसा गलत कार्य करने से सिर्फ जाट समाज ही नहीं बल्कि समस्त उत्तरी भारत के लोगों में भारी रोष है। उन्होंने कहा कि वे केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग करते है कि इस फिल्म पर तुरंत बैन लगाया जाए। वहीं महाराजा सूरजमल को लेकर ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने पर निर्माता व निर्देशक के खिलाफ केस भी दर्ज किया जाए।
मिना कहा कि फिल्म निर्माता द्वारा महाराजा सूरजमल को लालची शासक के रूप में दिखाकर समाज का अपमान किया गया है। जबकि पानीपत के तीसरे युद्ध 1761 में महाराजा सूरजमल और महारानी किशोरी ने युद्ध में घायल हुए सैनिकों का ईलाज करवाया। मराठों की महिलाओं व बच्चों को लगभग 6 महीने तक अपने राज्य में संरक्षण दिया और उन्हें सही सलामत व सुरक्षित वापस मराठा राज्य भिजवाया।
वहीं प्रताप दहिया ने समाज के युवाओं से विशेष रूप से आह्वान किया कि समिति द्वारा पानीपत फिल्म का शांतिपूर्वक ढंग से विरोध किया जा रहा है और इसके तहत कोई भी इस फिल्म को देखने नहीं जाएगा। जबकि जाट आरक्षण संघर्ष समिति , पानीपत फिल्म पर बैन लगाने और निर्माता-निर्देशक के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग को लेकर बुधवार को उपायुक्त को ज्ञापन सौंपेगी।
फिल्म निर्माता पर केस दर्ज हो-देव
भाजपा के जिला पार्षद देव मलिक ने कहा कि पानीपत फिल्म के निर्माता द्वारा महाराजा सूरजमल के किरदार को ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करके दिखाया जाना निंदनीय है। इस फिल्म पर केंद्र सरकार द्वारा या तो रोक लगाई जाए नहीं तो महाराजा सूरजमल के बारे में गलत दिखाए गए सभी तथ्यों को तुरंत हटाया जाए और उनके स्थान पर सही तथ्यों को फिल्म में सही शामिल किया जाए। मलिक ने कहा कि इस फिल्म द्वारा महाराजा सूरजमल की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है। किसी को भी ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का हक नहीं है।
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