देश में 1 करोड़ 20 लाख मिर्गी के मरीज, गांवों में 10 फीसदी ही पहुंच पाते हैं डॉक्टर
रोहतक के मॉडल टाउन में मिर्गी को लेकर एक सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें इस बीमारी के कारणों और बचाव पर चर्चा हुई।

रोहतक के मॉडल टाउन में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें अलग-अलग न्यूरोलॉजिस्ट ने अपने विचार रखे। डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि दुनिया भर में मिर्गी के सात करोड़ मरीज हैं और उनमें से एक करोड़ 20 लाख मरीज हमारे देश में हैं। मरीजों की इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद मिर्गी के मरीजों का उपचार नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में मिर्गी का एक सामान्य कारण सिर में चोट लगना है जबकि भारत में मिर्गी का एक प्रमुख कारण न्यूरोकाइस्टिसरोसिस (तंत्रिका तंत्र का परजीवी रोग) है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में मिर्गी के दौरों के करीब 30 प्रतिशत विकारों के लिए जिम्मेदार है।
मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जिस पर नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन हमारे देश में मिर्गी के मरीजों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है और इस कारण ज्यादातर मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. कामाक्षी धमीजा ने कहा कि आज मिर्गी के उपचार व जांच की सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन इसके बावजूद मिर्गी के अनेक मामलों का पता ही नहीं चलता या उनकी गलत जांच होती है या ऐसे मरीज अप्रशिक्षित चिकित्सक के पास इलाज के लिए पहुंचते हैं।
शहरी इलाकों में चिकित्सकों के पास पहुंचने वाले मरीजों का प्रतिशत करीब 60 है लेकिन ग्रामीण इलाकों में केवल दस प्रतिशत मरीज चिकित्सकीय सहायता के लिए पहुंचते हैं। मिर्गी के रोगियों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवाई लेनी चाहिए, पर्याप्त व्यायाम करना चाहिए, स्वस्थ आहार लेना चाहिए और पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।
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