Yamini Das Interview: जब यामिनी दास को चंदेरी के होटल में अकेले रहना पड़ा था, बताई दास्तान
जब दर्शक फिल्म ‘सुई धागा’ देखकर थिएटर से निकलते हैं तो मौजी (वरुण धवन) की अम्मा याद रह जाती हैं। उनका डायलॉग बोलने का अंदाज भी दर्शकों के जेहन में बस जाता है, जैसे ‘ममता, जरा छत से तुलसी तोड़ ला...’,।

जब दर्शक फिल्म ‘सुई धागा’ देखकर थिएटर से निकलते हैं तो मौजी (वरुण धवन) की अम्मा याद रह जाती हैं। उनका डायलॉग बोलने का अंदाज भी दर्शकों के जेहन में बस जाता है, जैसे ‘ममता, जरा छत से तुलसी तोड़ ला...’, ‘ममता, जरा बाऊजी को नाश्ता दे दे...’।
फिल्म में मौजी की अम्मा को देखकर लगता है कि निर्देशक ने सच में किसी कस्बे की अम्मा जी को ही फिल्म में लाकर खड़ा कर दिया हो। लेकिन ऐसा नहीं है। फिल्म में वरुण धवन के किरदार की मां का किरदार यामिनी दास ने निभाया है, वह मुंबई की रहने वाली हैं।
वह मशहूर गजल गायक चंदन दास की पत्नी हैं और एक्टर नमित दास (जो ‘सुई धागा’ में गुड्डू बने हैं और टीवी धारावाहिक ‘सुमित संभाल लेगा’ में सुमित थे) की मां हैं। यामिनी दास की बतौर एक्ट्रेस ‘सुई धागा’ पहली फिल्म है।
इस उम्र में एक्टिंग करने का ख्याल कैसे आया?
‘मैं बचपन से फिल्मों की दीवानी रही हूं। बचपन में मैंने खूब फिल्में देखीं, फिल्मी मैग्जीन पढ़ीं।मैं नाटक बहुत देखती हूं।
बेटे नमित के तो सारे नाटक देखती हूं और नमित के दोस्त मुझसे अकसर बोलते रहते हैं कि चलो आंटी यह कर लेते हैं, वो कर लेते हैं। कभी उनके साथ एक-दो प्रैंक शो कर लिए, कभी कुछ कर लिया।तो बस, इसी तरह से इस फिल्म के लिए किसी के कहने पर ऑडिशन दे दिया और वहां मुझे चुन लिया गया।’
पहली फिल्म में वरुण धवन और अनुष्का शर्मा जैसे बड़े स्टार और उस पर रघुवीर यादव जैसे मंझे हुए अभिनेता की पत्नी का किरदार। यामिनी दास को झिझक तो नहीं हुई?
‘स्टार्स से या बड़े कलाकारों से पर्सनल लेवल पर तो मुझे कोई झिझक नहीं हुई। मेरे पति और मेरा बेटा इसी ग्लैमर वर्ल्ड में हैं। बरसों से फिल्मों और संगीत के बड़े-बड़े दिग्गज लोगों के साथ उठना-बैठना रहा है।
मुझे पता है कि लोगों की नजर में कोई चाहे कितना बड़ा स्टार हो, आखिरकार वो अपना काम ही कर रहा है। हां, जब मुझे यह पता चला कि रघुवीर जी मेरे अपोजिट होंगे तो जरा-सी घबराहट हुई।
उनकी कमाल की अदाकारी को इतने सालों से देखते आ रहे हैं। लेकिन सेट पर जो माहौल था, वो बहुत प्यारा था। सब लोग इस बात को ध्यान में रखकर मेरे साथ काम कर रहे थे कि यह मेरी पहली फिल्म है।
मुझे सब लोगों ने इतना ज्यादा सपोर्ट किया कि मैं बहुत जल्दी एक कंफर्ट लेवल पर आ गई। फिर मैंने देखा है कि नमित या चंदन जी जब स्टेज पर होते हैं तो किसी दूसरी तरफ ध्यान नहीं देते हैं। मैंने भी इसी बात को फॉलो किया।’
फिल्म के दौरान क्या किसी और किस्म की दिक्कत पेश आई?
‘मेरे लिए सबसे बड़ी दिक्कत की बात तो यह थी कि चंदेरी में फिल्म की शूटिंग के दौरान जिंदगी में पहली बार मैं अकेली होटल के कमरे में रही थी। सच बात तो यह है कि मैं कभी अपने घर में भी अकेली नहीं रही।’ यामिनी हंसते हुए बताती हैं।
क्या आगे और भी फिल्में करेंगी यामिनी?
पूछने पर वह बताती हैं, ‘हां, क्यों नहीं। कुछ एक ऑफर्स आए हैं, बात चल रही है। देखते हैं कि क्या कुछ हो पाता है।’
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