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Interview: सोना महापात्रा ने अफगानिस्तान और काले बुर्के का बताया सच, MeToo पर दिया बेबाक बयान

जी टीवी का चर्चित म्यूजिक शो ‘सारेगामापा’ हमेशा काफी लोकप्रिय रहा है। आजकल इस शो के जज संगीतकार शेखर, वाजिद और गायिका सोना महापात्रा भी अपनी जजिंग को लेकर चर्चा में हैं।

Interview: सोना महापात्रा ने अफगानिस्तान और काले बुर्के का बताया सच, MeToo पर दिया बेबाक बयान
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जी टीवी का चर्चित म्यूजिक शो ‘सारेगामापा’ हमेशा काफी लोकप्रिय रहा है। आजकल इस शो के जज संगीतकार शेखर, संगीतकार वाजिद और गायिका, म्यूजिक कंपेाजर, गीतकार सोना महापात्रा भी अपनी जजिंग को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में सोना से शो की जजिंग और उनके करियर से जुड़ी बातें हुईं। पेश है प्रमुख अंश-

आप पहली बार जी टीवी के मशहूर शो ‘सारेगामापा’ की जज बनी हैं। कैसा महसूस कर रही हैं?

मैंने फिल्मों से ज्यादा प्राइवेट गाने गाए हैं। मेरी पहचान पार्श्वगायक से ज्यादा प्राइवेट सिंगर के रूप में ज्यादा रही हैं। मैं अपने काम को लेकर बेहद एक्साइटेड और पेशेनेट हूं। लिहाजा जब इस शो की जजिंग के लिए मुझे ऑफर मिला तो खुशी-खुशी एक्सेप्ट कर लिया।

आजकल लोग संगीत के प्रति बहुत ज्यादा समर्पित हैं। अब सिर्फ सिंगर ही नहीं, संगीतकार, एंकर और यहां तक कि दर्शक भी अच्छा गा लेते हैं। ऐसे में जब आप ‘सारेगामापा’ का विजेता चुनेंगे तो उसमें आपके मुताबिक क्या खास बात होगी?

हिट वही होता है, जो हट के होता है। वैसे भी विजेता का चुनाव हमसे ज्यादा दर्शक करेंगे। जिस सिंगर की आवाज में इतनी कशिश होगी कि वो दर्शकों के दिलों तक पहुंचने की ताकत रखे, वही इस शो का विजेता बनेगा।

आपके साथ संगीतकार शेखर और संगीतकार वाजिद भी जज हैं। इनके साथ जजिंग करने के एक्सपीरियंस कैसे रहे?

शेखर और वाजिद दोनों ही बेहद टैलेंटेड संगीतकार हैं। दोनों की पर्सनालिटी अलग-अलग है। उनके साथ जजिंग करने में मजा आ रहा है। हम तीनों के विचार अलग-अलग हैं, हमारी जजिंग भी अलग है, जो गायकों की बेहतरी के लिए है।

‘सारेगामापा’ के फॉर्मेट के अनुसार आप तीनों जजों की अपनी-अपनी प्रतियोगियों की टीम है। ऐसे में आपकी टीम में किस तरह के प्रतियोगी हैं?

मैंने अपनी टीम में विभिन्नता लाने की कोशिश की है। मुझे तोते की तरह गाने वाले गायक पंसद नहीं हैं। मेरा मानना है, एक अच्छे सिंगर की गायकी में अलग-अलग तरह का फ्लेवर होना जरूरी है। उनकी आवाज में बनावटीपन नहीं होना चाहिए। ओरिजिनल आवाज होना बहुत जरूरी है। मैंने अपनी टीम में नॉर्थ, साउथ और सेंट्रल इंडिया से गायकों को चुना है, जो गायकी में बहुत वैरायटी रखते हैं।

गायकी को लेकर आपका क्या फंडा है? क्या आप शुरू से ही गायिका बनना चाहती थीं?

गायकी का शौक तो बचपन से था, लेकिन मेरा मानना है कि गायकी के साथ-साथ पढ़ाई भी जरूरी है। इसलिए मैंने इंजीनियरिंग की है, एमबीए की डिग्री भी ली है। इसके अलावा गायकी में मैंने शास्त्रीय संगीत की बाकायदा ट्रेनिंग भी ली है। मैं सिर्फ गाना ही नहीं गाती हूं बल्कि गाना प्रोड्यूस भी करती हूं। मुझे फोक संगीत में बहुत दिलचस्पी है, इसलिए मैं दुनिया के हर कोने में घूमती हूं। वहां का संगीत कैप्चर करने की कोशिश करती हूं। मूलरूप से मैं उड़ीसा से हूं लेकिन मैं बिहार, पंजाब, राजस्थान हर जगह संगीत की तलाश में घूमी हूं, वहां का संगीत अपनी गायकी में लाने की कोशिश की है। मैंने अब तक कई सारे प्राइवेट शोज किए हैं, जो हिट रहे हैं।

सुना है आपको लाइव शो में ज्यादा दिलचस्पी है?

लाइव शो करना आसान नहीं है। इसमें ही सिंगर की असल पहचान होती है। जो सिंगर लाइव शो में गाने की ताकत रखता है, वो कहीं भी गाना गा सकता है। मैंने देखा है कि कई सिंगर लाइव शो के दौरान भी खुद नहीं गाते, सिर्फ गाने के साथ लिप्सिंग करते हैं। इसमें कोई मजा नहीं है। असल मजा तो लाइव शो में है, उसमें गाने में बहुत मजा आता है, दर्शकों का सामने-सामने रेस्पॉन्स मिलता है, जिससे जोश और बढ़ता है।

बतौर सिंगर अपनी म्यूजिक करियर की शुरुआत अपने दम पर करना आसान नहीं है। लेकिन आपने ऐसा किया। इसकी प्रेरणा आपको कहां से मिली और आपने इसकी शुरुआत कैसे की?

एक बार मैं अफगानिस्तान गई थी। वहां पर मैंने देखा कि औरतों को कुछ भी करने की आजादी नहीं थी। सब काले बुर्के में अपनी आंखें तक छिपा कर मर्दों के बीच घूमती थीं। वहीं पर एक दरगाह में मैंने एक औरत को देखा, जो लाल चोला पहनकर बिना कोई पर्दा किए बहुत ही बेबाकी से गाना गा रही थी। उसको देखकर मैं बहुत इंस्पायर हुई। मैंने भी सोचा, मैं भी अपने दम पर किसी का सपोर्ट लिए बगैर गाने की कोशिश करूंगी। लिहाजा मैंने पहली बार 360 म्यूजिक वीडियो वृंदावन में शूट किए और उसको फेस बुक पर अपलोर्ड किया। उसमें मुझे 48 घंटे में 3 मीलियन हिट मिले तो मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने और गाने बनाने शुरू कर दिए और धीरे-धीरे मैं फेसबुक, यू-ट्यूब और लाइव शो करके इतनी हिट हो गई कि मुझे खुद से प्लेबेक सिगिंग के ऑफर आने लगे। बाद में फिल्मों में गाए गाने भी हिट हुए हैं।

क्या आपको ऐसा लगता है कि अब एक गायक को, अपने आप को स्थापित करने के लिए प्लेबैक सिंगिग की जरूरत नहीं है?

हां बिल्कुल। आज अपने आप को पेश करने के लिए इतने सारे माध्यम आ चुके हैं कि अब एक सिंगर को अपनी आवाज श्रोताओं तक पहुंचाने के लिए प्लेबैक सिंगिंग की जरूरत नहीं है। अगर आपने सोशल मीडिया में अपना गाया गाना डाल दिया और वो सही में लोगों को पंसद आ गया तो आप अपने आप ही हिट हो जाएंगे। इसका जीता जागता उदाहरण मैं खुद हूं। इसके अलावा कितने ऐसे सिंगर हैं, जो प्लेबैक सिंगर बनने से पहले ही हिट थे। जैसे जगजीत सिंह, पंकज उदास, हनी सिंह, गुरु रंधावा जैसे सिंगर अपने प्राइवेट अलबम के जरिए ही हिट हुए हैं।

आजकल ‘मी टू’ अभियान के चलते कई महिलाओं ने पुरुषों पर इल्जाम लगाए हैं, क्या इससे महिलाओं का भला होगा?

सच बात तो यह है कि फिल्म इंडस्ट्री में जो गंदगी भरी है, उस वजह से टैलेंट बाहर नहीं आ पा रहा। पुरुषों के दुर्व्यवहार की वजह से कई अच्छे सिंगर्स ने अपनी आवाज अपने गले में ही दबा दी है। क्योंकि वो कोई समझौता नहीं करना चाहते। ऐसे में ‘मी टू’ की वजह से भले गंदगी पूरी तरह खत्म ना हो लेकिन कम तो हो ही जाएगी।

सुना है आप एक फिल्म का भी निर्माण कर रही हैं?

हां, मैं एक फिल्म बना रही हूं, उसके बारे में अभी ज्यादा बात नहीं कर पाऊंगी। अगले साल तक मेरा उस फिल्म को रिलीज करने का इरादा है।

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