Interview: हर किरदार ने मुझे कुछ न कुछ नया सिखाया हैः रितेश देशमुख
अपने करियर की शुरुआत रितेश देशमुख ने साल 2003 में आई फिल्म ‘तुझे मेरी कसम’ से की थी, जो एक रोमांटिक फिल्म थी। लेकिन रितेश की पहचान इंडस्ट्री में बतौर कॉमेडी एक्टर बनी, क्योंकि वह लगातार कॉमेडी फिल्में करते रहे। फिल्म ‘धमाल’, ‘क्या कूल हैं हम’ की दो सीरीज के साथ ही फिल्म ‘मस्ती’, ‘हाउसफुल’ की तीनों सीरीज का हिस्सा बनकर रितेश ने लोगों को खूब हंसाया है। लेकिन फिल्म ‘एक विलेन’ में जब रितेश नेगेटिव किरदार में नजर आए, तब भी दर्शकों ने उनको खूब सराहा। इस साल रितेश की फिल्म ‘हाउसफुल-4’ भी आने वाली है। इन दिनों वह फिल्म ‘टोटल धमाल’ की वजह से चर्चा में हैं। हाल ही में फिल्म के प्रमोशन के दौरान उनसे मुलाकात हुई। पेश है रितेश देशमुख से हुई बातचीत के चुनिंदा अंश।

अपने करियर की शुरुआत रितेश देशमुख ने साल 2003 में आई फिल्म ‘तुझे मेरी कसम’ से की थी, जो एक रोमांटिक फिल्म थी। लेकिन रितेश की पहचान इंडस्ट्री में बतौर कॉमेडी एक्टर बनी, क्योंकि वह लगातार कॉमेडी फिल्में करते रहे। फिल्म ‘धमाल’, ‘क्या कूल हैं हम’ की दो सीरीज के साथ ही फिल्म ‘मस्ती’, ‘हाउसफुल’ की तीनों सीरीज का हिस्सा बनकर रितेश ने लोगों को खूब हंसाया है। लेकिन फिल्म ‘एक विलेन’ में जब रितेश नेगेटिव किरदार में नजर आए, तब भी दर्शकों ने उनको खूब सराहा। इस साल रितेश की फिल्म ‘हाउसफुल-4’ भी आने वाली है। इन दिनों वह फिल्म ‘टोटल धमाल’ की वजह से चर्चा में हैं। हाल ही में फिल्म के प्रमोशन के दौरान उनसे मुलाकात हुई। पेश है रितेश देशमुख से हुई बातचीत के चुनिंदा अंश।
फिल्म ‘धमाल’, ‘डबल धमाल’ से कितनी अलग है, ‘टोटल धमाल’?
पहली ‘धमाल’ में चार दोस्त थे, मैं पुलिसवाले के रोल में था, इसमें सभी पैसों के पीछे भागते नजर आए थे। जब दूसरी फिल्म बनने वाली थी तो लगा पुराने कॉन्सेप्ट को दोहराना नहीं चाहिए, कुछ नया करते हैं। लेकिन हुआ यह कि लोगों ने दूसरी फिल्म को एंज्वॉय नहीं किया। उन्होंने ‘धमाल’ के पैसे और फन को बहुत मिस किया, इसलिए एक बार फिर हमने बारह साल पहले आई फिल्म ‘धमाल’ को ध्यान में रखकर ‘टोटल धमाल’ तैयार की है, इसमें भी सभी लोग पैसों के पीछे भागते दिखेंगे। अब टेक्नोलॉजी बढ़ गई है, फिल्म का बजट बढ़ गया है, अजय देवगन, अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित भी इससे जुड़ गए हैं, इसलिए इस बार एक वंडरफुल फिल्म बन गई है।
फिल्म के डायरेक्टर इंद्र कुमार के बारे में आपकी क्या राय है?
इंद्र कुमार जी के साथ यह मेरी छठी फिल्म है। वो एक फाइनेस्ट डायरेक्टर हैं। वो कॉमेडी फिल्म को बहुत अच्छे से समझते हैं। मैं उन पर ब्लाइंडली ट्रस्ट करता हूं, भले हर ‘धमाल’ में मेरा किरदार नया होता है लेकिन मुझे पूरा विश्वास होता है, यह मेरा बेस्ट होगा। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इंद्र कुमार जी एक बहुत अच्छे एक्टर भी हैं। वो खुद हमें एक्ट करके सीन भी समझाते थे। लेकिन हम में से कोई भी उनकी एक्टिंग और एक्सप्रेशन को कॉपी नहीं कर पाता था। उनके साथ काम करके मुझे बहुत अच्छा लगा।
फिल्म ‘एक विलेन’ के बाद एक बार फिर आप फिल्म ‘मरजावां’ में नेगेटिव रोल कर रहे हैं, आपके लिए ज्यादा टफ क्या है, कॉमेडी या नेगेटिव रोल?
वैसे तो मैं दोनों ही तरह के किरदारों को काफी एंज्वॉय करता हूं। जब बात नेगेटिव रोल करने की आती है तो मेरे ऊपर प्रेशर डबल, ट्रिपल हो जाता है। लोगों को लगता है कॉमेडी तो मैं कर लेता हूं, लेकिन नेगेटिव किरदार कर पाऊंगा भी या नहीं? चलो माना मैंने कर भी लिया तो क्या ऑडियंस मुझे नेगेटिव रोल में एक्सेप्ट करेगी? मुझे याद है, जब मैं ‘एक विलेन’ करने जा रहा था, तब मुझे एक लेडी ने कहा था आपको स्क्रीन पर देखते ही हंसी छुट जाती है, अब आप ही बताइए ऐसे में मेरे ऊपर कितना प्रेशर रहा होगा जब मैं एक नेगेटिव रोल करता हूं।
बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के आपने पंद्रह साल से भी ज्यादा समय इंडस्ट्री में बिताए हैं, अपनी जर्नी के बारे में क्या कहेंगे?
सच तो यह कि फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कोई भी सिंगल आदमी नहीं है, जिसने मुझे गाइड किया हो। मैं इंडस्ट्री का अर्जुन नहीं था, जिसे द्रोणाचार्य ने शिक्षा दी हो, मैं एकलव्य रहा हूं, मैंने सब कुछ खुद सीखा है। मुझे याद है जब मैंने करियर शुरू किया था साल 2003 में तो मैं क्या था, साल 2007 में मेरे अंदर थोड़ा कॉन्फिडेंस आया। फिर धीरे-धीरे मैं फिल्में करता गया और निखरता गया। मैंने, कॉमेडी क्या होती है? पंच लाइन क्या होती है? यह सब भी खुद सीखा है। मेरे हर किरदार ने मुझे कुछ न कुछ नया सिखाया है।
इन दिनों वेब सीरीज का दौर चल रहा है, वेब सीरीज के बारे में आपका क्या कहना है?
यह जरूरी नहीं कि हर फिल्म को बिग ओपनिंग मिले या यह कहूं कि जब प्रोड्यूसर को लगता है कि उसकी यह फिल्म ज्यादा तादाद में ऑडियंस को सिनेमाघरों में नहीं खींच पाएगी, तब वह अपनी फिल्म को बेव सीरीज बनाकर दर्शकों के सामने पेश करता है क्योंकि प्रोड्यूस का मकसद होता है दर्शकों तक अपनी फिल्म पहुंचाना, बस तरीका बदल गया है। मुझे तो लगता है आने वाले समय में टीवी के सीरियल्स भी ऐसे बनेंगे, जिन्हें आप जब चाहो तब देख सकते हैं अपनी सुविधा और समयानुसार। तब ऐसा नहीं होगा कि फलां शो 9 बजे आएगा, सो 9 बजे आपको टीवी के सामने बैठना पड़ेगा।
हाल ही में ‘ठाकरे’ बायोपिक रिलीज हुई, प्रधानमंत्री की भी बायोपिक बन रही है, आपके पिता स्वर्गीय विलासराव देशमुख की बायोपिक के बारे में क्या कहेंगे?
किसी इंसान की लाइफ को फिल्म में कंवर्ट करना आसान नहीं होता। दूसरा यह कि उनका किरदार कौन निभाएगा यह तो और भी डिफिकल्ट है। जबकि बायोपिक बनाने के लिए ये दोनों ही बातें बेहद जरूरी हैं। अगर आप जस्टिफाई नहीं कर सकते तो कोई मतलब नहीं बनता बायोपिक बनाने का। ऐसे में किसी की लाइफ की जर्नी को डॉक्युमेंट्री के जरिए दिखाया जा सकता है। फिलहाल तो मैं यही कहूंगा कि अभी पिता की बायोपिक के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
वाइफ जेनेलिया के साथ दोबारा फिल्म करने की ख्वाहिश
रितेश की पत्नी जेनेलिया भी साउथ और हिंदी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। शादी और बच्चों के बाद वह ब्रेक पर हैं। इन दोनों भी साथ में कुछ फिल्मों में काम किया है। आगे भी क्या रितेश, जेनेलिया के साथ फिल्मों में काम करना चाहते हैं? यह सवाल पूछने पर वह कहते हैं, ‘मैं उम्मीद रखता हूं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में हम दोनों एक साथ फिर आएं। मैंने जेनेलिया की कई साउथ की फिल्म देखी है, वो एक बेहतरीन एक्ट्रेस हैं। मेरी इच्छा है कि हम दोंनों साथ में एक मराठी फिल्म भी करें। आशा है मेरी यह इच्छा जरूर और जल्द पूरी होगी।’
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