Interview: शूटिंग के पहले ही दिन किस्से कनेक्ट हो गयी थी पूजा सावंत
मराठी फिल्म इंडस्ट्री की वर्सटाइल एक्ट्रेस पूजा सावंत फिल्म ‘जंगली’ से बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं। फिल्म में उन्होंने एक महावत का रोल किया है। इसके लिए क्या पूजा ने कोई ट्रेनिंग ली? हाथियों के साथ काम करना उनके लिए कितना कठिन रहा, इस दौरान वह डरी नहीं? असल जिंदगी में पूजा सावंत को जानवरों से कितना लगाव है?

पूजा सावंत ने मराठी फिल्मों से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत साल 2010 में की थी। तब से लेकर अब तक वह पंद्रह से भी ज्यादा मराठी फिल्मों का हिस्सा बन चुकी हैं। इसके साथ ही उन्होंने कई मराठी डेली सोप और शोज भी किए हैं। अब पूजा फिल्म ‘जंगली’ से बॉलीवुड में एंट्री करने जा रही हैं। यह फिल्म इंसान और हाथियों के अनोखे रिश्ते पर है। पूजा खुद भी एक एनिमल लवर हैं, वह जानवरों की सुरक्षा के लिए एक एनजीओ भी शुरू करना चाहती हैं। फिल्म ‘जंगली’ और करियर से जुड़ी बातचीत पूजा सावंत से।
साल 2010 में आपने पहली मराठी फिल्म की, करीब नौ साल बाद बॉलीवुड फिल्म कर रही हैं, इतनी लेट क्यों हुईं?
मैं मराठी फिल्मों, शोज में काफी अच्छा कर रही हूं। साथ ही साथ मैं बॉलीवुड में भी ऑडिशन देती रहती थी। लेकिन कभी मुझे स्क्रिप्ट पसंद नहीं आती थी तो कभी सेलेक्शन करने वालों को मेरा ऑडिशन। बॉलीवुड में दो-तीन प्रोजेक्ट होते-होते रह गए, बहुत बड़ी फिल्में थीं, अब उस फिल्म का नाम नहीं ले सकती। दूसरी बात यह भी है कि फिल्मों को लेकर मैं बहुत चूजी हूं। मुझे कई मराठी फिल्मों के ऑफर्स आते थे लेकिन मैंने सारी मराठी फिल्में चुन-चुन कर की हैं। दरअसल, मुझे अच्छी कंटेंट वाली फिल्मों का हिस्सा बनना था। यही बात हिंदी सिनेमा करते हुए भी लागू होगी।
फिल्म ‘जंगली’ का ऑफर आपको कब और कैसे मिला?
जैसा कि मैंने बताया मराठी फिल्में करने के साथ-साथ मैं हिंदी फिल्मों के लिए भी ऑडिशन देती रहती थी। इसी तरह फिल्म ‘जंगली’ के लिए भी मैंने ऑडिशन दिया था। मुझे याद है, उस समय फिल्म के डायरेक्टर चक रसेल सर यूएस में थे। मेरा ऑडिशन देखने के बाद रात में उन्होंने मुझे वीडियो कॉल किया था। मैं उनसे बात करने को लेकर भी बहुत नर्वस थी। मैंने जैसे-तैसे कॉल पिक किया। उन्होंने सीधे कहना शुरू किया, ‘तुमने अमेजिंग ऑडिशन दिया। मुझे मेरा ‘शंकरा’ मिल गया। क्या बताऊं उनके मुंह से अपनी तारीफ सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई।
फिल्म में अपने किरदार के बारे में कुछ बताएं?
फिल्म में मैं एक महावत का रोल प्ले कर रही हूं, जिसका नाम शंकरा है। इसलिए चक सर ने फोन पर कहा था, ‘मुझे शंकरा मिल गया।’ शंकरा एक स्ट्रॉन्ग लेडी और एनिमल प्रोटेक्टर भी है। वह जंगल के एक एरिया में अपने जानवर खासकर हाथी के साथ राज करती है। उसके पास दीदी नाम की एक हथिनी है, जिसकी वह महावत है। उसे हाथियों से बहुत लगाव और प्यार है। वो हाथी के लिए अपनी जान भी दे सकती है, हाथी की सुरक्षा के लिए किसी को मार भी सकती है।
असल जिंदगी में आपको जानवरों से कितना लगाव है?
शंकरा की तरह मैं भी जानवरों से बहुत कनेक्टेड हूं। मैंने जानवरों की सुरक्षा के लिए और उनके हित में कई काम किए हैं। जानवरों के लिए जो काम शंकरा जंगल में करती है, वही काम मैं शहर में रहते हुए करती हूं। मैं जानवरों के हित और सुरक्षा के लिए एक एनजीओ भी शुरू करना चाहती हूं। मैंने अपने घर में भी कुछ पालतू जानवर रखे हैं। मुझे उनके साथ समय बिताना अच्छा लगता है। हां, यह भी एक सच है कि मैं हाथी से पहले बहुत डरती थी। मैंने कभी उन्हें इतने करीब से नहीं देखा था, जितने करीब से फिल्म ‘जंगली’ में मैंने देखा। लेकिन धीरे-धीरे मेरा सारा डर निकलता गया।
फिल्म में विद्युत जामवाल लीड रोल में हैं, उनके साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा?
विद्युत के साथ काम करने का एक्सपीरियंस वंडरफुल था। उन्होंने शूटिंग के दौरान मेरी बहुत मदद की, खासकर तब जब मैं एक्शन सीन करते वक्त फेल हो जाती थी। मुझे उनका वे ऑफ लाइफ बहुत अच्छा लगता है। मैं उनकी फिटनेस की दीवानी हूं। वो बहुत डिसिप्लीन के साथ काम करते हैं। वह अपने काम को लेकर पैशनेट भी हैं। एक्शन के हर फॉर्म में माहिर हैं। उनकी सबसे अच्छी बात यह है कि वो अपने को-स्टार को हमेशा पहले मौका देते हैं, बाद में खुद कुछ करते हैं। इससे पता चलता है कि वो एक इंसिक्योर एक्टर नहीं हैं।
बेजुबां जानवर हमारी वाइव्स को ज्यादा समझते हैं
पूजा सावंत फिल्म ‘जंगली’ में एक हथिनी की महावत बनी हैं, इसके लिए क्या उन्होंने कोई ट्रेनिंग ली? पूछने पर वह कहती हैं,
‘मुझे लगता है, इंसान से ज्यादा बेजुबां जानवर हमारी वाइव्स को समझते हैं। यही वजह है कि पहले दिन से ही मैं और हथिनी दीदी दोनों एक-दूसरे से कनेक्ट करने लगे थे। वो मेरी वाइव्स और एनर्जी को समझने लगी थी, वह जान गई थी कि मैं उसे प्यार करती हूं। हां, मैंने कुछ ट्रेनिंग ली थी, जैसे मैं रोज सुबह उठकर उससे मिलने जाती थी, उसे खाना खिलाती थी, उसे पानी पिलाती, तालाब में नहाने ले जाती थी, उसकी सवारी करती थी ताकि वो भी मुझसे कनेक्ट हो सके। मैं उसे काफी समझने की कोशिश भी करती थी कि वो कब सोती है, उसे क्या पसंद है, क्या नहीं? दरअसल, यह फिल्म 2019 में रिलीज हो रही है, लेकिन इसकी शूटिंग 2017 में ही शुरू हो गई थी तो इन दो सालों में मैंने बहुत मेहनत की।’
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